घायल वृद्धा को पहले इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज के दौरान किसी सगे-संबंधी का पता नहीं चला तो तीमारदारी का प्रबंध किया। …जब अर्धविक्षिप्त वृद्धा जिंदगी की जंग हार गई तो पुत्र का धर्म निभाते हुए अंतिम संस्कार किया। गुरुवार को अस्थियां गुप्तार घाट जाकर सरयू नदी में विसर्जित कीं। जल्द ही गंगा में अस्थियां विसर्जित कर जिलाधिकारी डॉ. अनिल कुमार श्राद्धकर्म भी करेंगे। जिलाधिकारी का यह कदम मानवीय संवेदना के लिए अनुपम उदाहरण के रूप में चर्चा के केंद्र में है।
बात डेढ़ माह पहले की है। जिलाधिकारी देर शाम रुदौली की ओर से फैजाबाद लौट रहे थे। उन्हें घायलावस्था में लगभग 70 वर्षीय वृद्ध महिला गोड़वा गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे पड़ी नजर आई। डीएम कार रोकवा कर उसके पास पहुंचे, लेकिन महिला अपने विषय में कुछ भी बता पाने में असमर्थ थी। जिलाधिकारी तत्काल उसे अपने वाहन से जिला अस्पताल लाए और उसे भर्ती कराया। यहां वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. गंगाराम गौतम की देखरेख में इलाज शुरू हुआ। एक माह पूर्व डॉ. गौतम ने पैर का ऑपरेशन कर राड डाली।
इसके बाद दस दिन पहले लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. हरीराम को व्यक्तिगत तौर पर बुलाया गया। उन्होंने ऑपरेशन कर तार से टूटे जबड़े को बांध कर दुरुस्त किया। उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ और भोजन के रूप में फलों में केला एवं जूस, दूध का सेवन करने लगीं पर अपना पता उन्हें याद नहीं आया। आखिरकार बीते मंगलवार को वह जिंदगी की जंग हार गईं। इसकी सूचना तीमारदार होने के कारण जिलाधिकारी को अस्पताल प्रशासन ने दी।
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