रेलवे एक लाख पदों पर भर्ती की तैयारी में है। रोजगार के मुद्दे पर विपक्ष के निशाने पर रही मोदी सरकार के लिए रेलवे का यह फैसला बड़ी राहत लाने वाला है। शुरुआती तौर पर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है। माना जा रहा है कि इनमें से अधिकांश पद सेफ्टी से जुड़े होंगे। हालांकि भर्ती प्रक्रिया में कुछ वक्त लग सकता है। हाल के वर्षों में इतनी बड़ी तादाद में कभी भी भर्तियां नहीं की गईं। 
सूत्रों का कहना है कि यह भी संभव है कि ये भर्तियां एक साथ करने के बजाय विभिन्न चरणों में की जाए। मसलन, एक वक्त में गैंगमैन्स की भर्ती हो और उसके कुछ वक्त बाद किसी खास कैटिगरी में भर्ती की जाए। रेलवे सूत्रों का कहना है कि चूंकि पहले से ही मंजूर पद खाली पड़े हैं, इसलिए उन पदों पर भर्ती करने के लिए कैबिनेट से मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी।
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रेलवे की यूनियन के नेता शिवगोपाल मिश्रा के मुताबिक, इस वक्त रेलवे में सेफ्टी से जुड़े लगभग ढाई लाख पद खाली पड़े हैं। अगर सरकार इन पदों को भरती है तो यह रेलवे के लिए अच्छा संकेत हैं। मिश्रा के मुताबिक रेलवे यूनियन लंबे वक्त से यह मांग कर रही है कि अगर रेलवे को सेफ्टी पर फोकस करना है तो उसे सेफ्टी के खाली पड़े पदों को भरना चाहिए।
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि रेलवे का एक लाख पद भरने का फैसला मोदी सरकार के लिए बड़ी राहत ला सकता है। पार्टी का कहना है कि भले ही ये पद एक लाख हों, लेकिन इसके लिए लाखों की तादाद में युवक आवेदन करेंगे। जाहिर है कि इससे यह मेसेज जाएगा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में नौकरियां दी जा रही हैं।
विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर बेरोजगारी को लेकर हमले कर रहा है। खुद मोदी सरकार को भी महसूस हो रहा है कि रोजगार के मोर्चे पर उसके लिए विपक्ष को जवाब देना भारी पड़ रहा है। बीजेपी के कई नेता भी मानते हैं कि इंप्लॉयमेंट ही ऐसा मुद्दा है, जिसे लेकर सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर नोटबंदी के बाद सरकार को यह आरोप झेलने पड़ रहे हैं कि रोजगार बढ़ने के बजाय नोटबंदी से रोजगार के मौके कम हुए हैं।
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