देश और दुनिया में युवतियों के बीच तेजी से बढ़ रहे ब्रेस्ट कैंसर के मामलों ने विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है। डॉक्टरों का कहना है कि बदलती जीवन शैली, देर से शादी और प्रसव में देरी जैसे कारण इसके जोखिम को कई गुना बढ़ा रहे हैं। नई दिल्ली में आयोजित दूसरे अंतरराष्ट्रीय स्तन कैंसर सम्मेलन में विशेषज्ञों ने चेताया कि मौजूदा हालात चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुके हैं और समय रहते जागरूकता ही मौत के जोखिम को कम कर सकती है।
सम्मेलन के दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि पारिवारिक जीन, हार्मोनल बदलाव और जीवनशैली की गलत आदतें ब्रेस्ट कैंसर के प्रमुख कारण बन रही हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, मोटापा, व्यायाम की कमी और शराब सेवन जैसे कारक बीमारी को और गंभीर बनाते हैं। कार्यक्रम में फिल्म अभिनेत्री महिमा चौधरी भी शामिल रहीं, जो खुद ब्रेस्ट कैंसर से उबर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि हर महिला को सालाना जांच करानी चाहिए ताकि बीमारी का शुरुआती चरण में पता लगाया जा सके।
महिमा चौधरी की अपील
महिला स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने को लेकर अभिनेत्री महिमा चौधरी ने कहा कि महिलाओं को अपनी सेहत को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने बताया कि उन्हें यह बीमारी बिना किसी लक्षण के पता चली। महिमा ने कहा कि घरों में पुरुषों को भी इस विषय पर संवेदनशील होना चाहिए और महिलाओं को नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शुरुआती स्टेज में कैंसर पकड़ में आ जाए तो इलाज काफी प्रभावी साबित होता है।
जीवनशैली और बढ़ते जोखिम
गुरुग्राम के मेदांता कैंसर संस्थान के डॉ. अशोक वैद ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर का सबसे बड़ा जोखिम कारक पारिवारिक जीन है। इसके बाद देर से शादी, पहली गर्भावस्था में देरी और मासिक धर्म जल्दी शुरू होना शरीर को लंबे समय तक एस्ट्रोजन के संपर्क में रखता है। डॉ. वैद के मुताबिक, अत्यधिक वजन, आलस भरी दिनचर्या, धूम्रपान और शराब सेवन जोखिम को और बढ़ाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर जीवनशैली में समय रहते बदलाव किए जाएं तो ब्रेस्ट कैंसर की संभावना को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
शुरुआती लक्षण न दिखने से बढ़ती चुनौती
महिमा चौधरी ने बताया कि चार साल पहले जब उन्हें यह बीमारी हुई, तब कोई लक्षण नजर नहीं आए। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि महिलाओं को सालाना स्क्रीनिंग कराना सबसे जरूरी है। विशेषज्ञों ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआती स्टेज में सामान्य लक्षण नहीं दिखते। ऐसे में मामोग्राफी और अन्य जांच ही बीमारी का पता लगाने का भरोसेमंद तरीका है। सम्मेलन में युवतियों को जल्द जागरूक करने पर जोर दिया गया।
भारत और दुनिया में बढ़ते आंकड़े
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2022 में भारत में ब्रेस्ट कैंसर के करीब 1.93 लाख नए मामले सामने आए और लगभग 99 हजार महिलाओं की जान गई। 2024 में यह संख्या 2.38 लाख से अधिक रही। अनुमानों के मुताबिक 2025 में यह आंकड़ा और बढ़कर 2.32 लाख तक पहुंच सकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि देश में कैंसर के कुल मामलों में 28 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर के हैं, जिससे यह महिलाओं में सबसे बड़ा कैंसर खतरा बन चुका है। वैश्विक स्तर पर भी स्थिति गंभीर है जहां 2020 में 20 लाख से अधिक महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की शिकार बनीं और 6.85 लाख की मौत हुई।
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