2013 में आम आदमी पार्टी से पराजित होने के बाद हाशिए पर गई दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित का दर्द आखिर छलक ही पड़ा. बरसों तक उनकी अनदेखी सहने के बाद भी कुछ न कहने वाली शीला दीक्षित ने पार्टी नेताओं को ‘आंतरिक राजनीति नहीं करने की’ नसीहत दी है .
उल्लेखनीय है कि तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित ने अपने मन की व्यथा व्यक्त करते हुए कहा मैं कांग्रेस की हूं और कांग्रेस मेरी है. मैं कांग्रेस के लिए कुछ भी कर सकती हूं. जब मुझसे कोई कुछ कहेगा नहीं, तो मुझ में भी यह आदत नहीं कि अपने आप से जाकर कहीं घुस जाऊं. बरसों तक उन्होंने अनदेखी की. पर मैंने कुछ नहीं कहा. कोई शिकायत नहीं की.
बता दें कि विधानसभा चुनाव के बाद दिल्ली नगर निगम के अलावा और उपचुनाव हुए, लेकिन शीला दीक्षित को प्रचार की कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई. लेकिन पिछले दिनों शीला दीक्षित और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन द्वारा एक साथ प्रेस कांफ्रेंस करने पर शीला बोलीं माकन जी मेरे घर चार-पांच बार आए थे.मेरे मन में कोई दुविधा नहीं है. हमें तो कांग्रेस के लिए काम करना है. किसी व्यक्ति विशेष के प्रति मन में कुछ नहीं है.उन्होंने कांग्रेस नेताओं को साथ में लेकर चलने की जरूरत पर जोर दिया.उन्होंने आप सरकार की आलोचना की.
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