देश के विभिन्न राज्यों में बर्ड फ्लू की दस्तक के बाद उत्तराखंड में अलर्ट है। इस बीच प्रवासी परिंदों ने चिंता बढ़ा दी है। हालांकि, वन विभाग की ओर से एहतियातन तमाम कदम उठाए जाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन, परिंदों पर निगरानी और रोकथाम किसी चुनौती से कम नहीं। गनीमत है कि अभी तक उत्तराखंड में बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं हुई है।
उत्तराखंड में करीब एक लाख हेक्टेयर भूमि में फैले कुल 994 वेटलैंड हैं। इनमें 97 ऐसे हैं, जो वन क्षेत्र से बाहर हैं। शीतकाल में इन वेटलैंड में मध्य एशिया से बड़ी संख्या में प्रवासी परिंदे पहुंचते हैं, जो तकरीबन मार्च तक यहां रहते हैं। वर्तमान में भी राज्य के तमाम जलाशयों में मेहमान परिंदे नजर आ रहे हैं।
उधर, हिमाचल, राजस्थान और केरल में बड़ी संख्या में बर्ड फ्लू से पक्षियों की मौत से हड़कंप मचा हुआ है। इस बीच उत्तराखंड में मृत मिल रहे पक्षियों को लेकर भी गंभीरता से कार्य किया जा रहा है। पक्षियों के सैंपल जांच को भेजे जा रहे हैं, इसके अलावा पक्षियों की आवाजाही पर भी नजर रखी जा रही है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि बर्ड फ्लू को लेकर आसन कंजर्वेशन रिजर्व, झिलमिल झील, नानकसागर बांध, तुमड़िया बांध, हरिपुर, बेगुल, बौर समेत अन्य जलाशयों और बैराजों पर स्टाफ को सक्रिय कर दिया गया है।
साथ ही परिंदों की गतिविधि पर खास नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। इन जलाशयों में प्रवासी परिंदे बड़ी संख्या में आते हैं। वन प्रभागों के डीएफओ को अपने-अपने क्षेत्रों की नदियों के साथ ही जंगलों में निगरानी को कहा गया है। वन मुख्यालय में भी इसकी मॉनीटरिंग की जा रही है। विशेष टीम को सभी वेटलैंड से संपर्क बनाए रखने को कहा गया है।
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