इस अवसर पर अमर उजाला के शिशिर चौरसिया ने स्पाइसजेट के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक -सीएमडी- अजय सिंह से लंबी बातचीत की। पेश है इस बातचीत के संपादित अंश:-बजट 2017: 9 उम्मीदें जिन पर हो सकती हैं वित्त मंत्री के नजरें इनायत
बेड़े में अभी बोइंग के 737 एलजी किस्म के 32 विमान हैं। 205 विमानों का आर्डर दे रहे हैं। इतने विमानों के लिए पैसे कहां से आएंगे और रख-रखाव केलिए आपकी क्या तैयारी होगी?
उत्तर- इस समय स्पइसजेट जीरो डेट कंपनी है। मतलब हमारे ऊपर किसी का कर्ज नहीं है। हम लगातार बढ़िया कर रहे हैं, जिसका असर हमारे शेयर प्राइस पर भी दिख रहा है। इसलिए हमें पैसे देने वालों की कमी नहीं है। जहां तक इन विमानों के मेंटनेंस की बात है तो बोइंग इसमें हमारा पहले से ही पार्टनर है। बोइंग ने नागपुर में एक एमआरओ सेंटर बना लिया है। बोइंग की भी जिम्मेदारी है कि उसका फ्लीट बेहतर तरीके से चले। इसलिए मेंटनेंस कोई इश्यू नहीं है।
डिलिवरी शिड्यूल क्या रहेगा?
हमने जो अभी आर्डर दिया है, उसका पहला विमान वर्ष 2018 केतीसरी तिमाही में मिल जाएगा। उसके बाद 2024 तक डिलीवरी चलती रहेगी। हम विमानों की डिलीवरी प्रक्रिया तो तेज करने की कोशिश करेंगे। पहले हम 155 नैरो बॉडी एयरक्राफ्ट की डिलीवरी ले लेंगे। उसके बाद वाइड बॉडी पर फैसला करेंगे।
प्री डिलीवरी पेमेंट कितना दिया?
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हमने बता दिया कि कुल सौदा डेढ़ लाख करोड़ रुपये का है। इतने पर ही रहने दीजिए। प्री डिलीवरी पेमेंट कितना दिया, यह गोपनीय मसला है। इसे रहने दीजिए।
हम भविष्य में कम किराये वाली लंबी उड़ानें भी शुरू करना चाहते हैं। यह तो तय है कि चाहे उड़ान छोटी हो या लंबी, हमारा मॉडल लो कॉस्ट का ही है। मतलब यात्री सस्ते किराये वाले होंगे। ऐसे में वही एयरक्राफ्ट खरीदना चाहेंगे जो कि लंबी दूरी केमार्गों पर भी कर्म इंधन खर्च करे और उसमें हम अधिक से अधिक सीट लगा सकें। रही बात एयरक्राफ्ट की तो यह उस समय तय कर लिया जाएगा।
बोइंग का ड्रीमलाइनर इस श्रेणी में एक सफल विमान रहा है। क्या यही लेंगे?
यह भी हो सकता है। लेकिन यह अभी शुरूआती बातें हैं। हमने देखा है कि दुनिया की कई कम किराये वाली एयरलाइन इस विमान केसहारे बढ़िया कारोबार कर रही हैं।
इन विमानों को किस रूट पर लगाएंगे?
रूट तो अभी तय नहीं किया है। पहले देखेंगे कि हमारे लिए कौन सा मार्ग लाभप्रद रहेगा। देखा जाए तो भारत से जुड़े कई इंटरनेशनल डेस्टीनेशन हैं। लेकिन हम यह ध्यान में रखना होगा कि वे मार्ग हमारे लिए आर्थिक रूप से लाभप्रद है या नहीं। हम अपने लाभ के लिए बेहद सजग हैं। कहीं भी हम सिर्फ नाम केलिए उउ़ान शुरू नहीं करेंगे।
वर्ष 2014 के संकट से उबरने के बाद आपके बिजनेस मॉडल में कोई परिवर्तन हुआ है?
हमारा बिजनेस मॉडल करीब-करीब वही है। हम उड़ानों की परिचालन लागत को लेकर बेहद गंभीर हो गए हैं। हम बाजार की हिस्सेदारी पर कब्जा करने के बजाय अपनी लाभप्रदता को ज्यादा ध्यान में रखते हैं। हमारा परिचालन बेहतर हो सके, इसकेलिए हरसंभव कोशिश की जाएगी।
नोटबंदी का आपके ऊपर या विमानन उद्योग केऊपर कोई असर?
बीते नवंबर में 8 तारीख को जब नोटबंदी की घोषणा हुई थी, तब हमारे लोड फैक्टर पर असर पड़ा था। लेकिन पिछले दिसंबर से स्थिति सुधरी है। वैसे भी विमानन जगत में करीब 94 फीसदी टिकट क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या अन्य इलेक्ट्रानिक पेमेंट के साधनों केजरिये बिकते हैं। इसलिए आटोमोटिव या अन्य क्षेत्र की तरह ज्यादा असर नहीं पड़ा।
सरकार ने छोटे शहरों एवं दूर-दराज के इलाकों को विमान सेवा से जोड़ने के लिए उड़े देश के आम आदमी -उड़ान- योजना शुरू की है। इसमें आप भाग लेंगे?
उत्तर- जरूर भाग लेंगे। हम तो पहले से ही छोटे शहरों में विमान सेवा दे रहे हैं। हमारे बेड़े में बोइंग 737 एनजी किस्म के 32 विमान हैं तो बमबार्डियर क्यू 400एस किस्म के भी 17 विमान हैं। बमबार्डियर में 78 सीटें हैं और इन्हें हम छोटे शहरों के मार्गों पर ही लगाये हुए हैं। जहां तक उड़ान योजना की बात है तो इसमें 16 जनवरी तक बोली लगाने का अवसर था और हमने भी बोली लगायी है। लेकिन शहरों केनाम का खुलासा हम नहीं करेंगे।