बिहार: तेजस्वी बोले- शराबबंदी सीएम नीतीश के भ्रष्टाचार का छोटा सा नमूना

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि आज बिहार में शराबबंदी सुपरफ्लॉप है। सत्ताधारी नेताओं-पुलिस और शराब माफिया के नापाक गठजोड़ के कारण बिहार में 30 हजार करोड़ से अधिक अवैध शराब का काला बाजार फला-फूला है।

बिहार के सारण और सीवान में जहरीली शराब कांड के बाद सियासत जारी है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने फिर से सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला है। सोशल मीडिया पर उन्होंने शनिवार सुबह को लिखा कि शराबबंदी नीतीश कुमार के संस्थागत भ्रष्टाचार का एक छोटा सा नमूना है। अगर शराबबंदी हुई है तो इसे पूर्ण रूप से लागू करना सरकार का दायित्व है लेकिन मुख्यमंत्री की वैचारिक व नीतिगत अस्पष्टता, कमजोर इच्छाशक्ति तथा जनप्रतिनिधियों की बजाय चुनिंदा अधिकारियों पर निर्भरता के कारण आज बिहार में शराबबंदी सुपरफ्लॉप है। सत्ताधारी नेताओं-पुलिस और शराब माफिया के नापाक गठजोड़ के कारण बिहार में 30 हजार करोड़ से अधिक अवैध शराब का काला बाजार फल-फूल है।

शराब की कागजों में बरामदगी दिखायी जा रही
तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर शराबबंदी के बावजूद बिहार में तीन करोड़ 46 लाख लीटर शराब की कागजों में बरामदगी दिखायी जा रही है। एक ईमानदार वरीय पुलिस अधिकारी के अनुसार इसमें भी घपला है क्योंकि अवैध शराब की तस्करी के लिए पुलिस अधिकारी शराब पकड़ने/पकड़वाने का ढोंग रचते हैं जैसे कि 20 ट्रक शराब के बिहार में घुसाने पर एक टूटा-फूटा ट्रक पकड़वाते है उसमें भी शराब की बजाय कुछ और द्रव्य पदार्थ होता है।

तेजस्वी यादव ने पूछा कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार होशमंद हैं तो इन सवालों का जवाब दें…

. अगर प्रतिवर्ष इतनी बड़ी मात्रा में शराब बरामद हो रही तो उसके दोषी कौन?
. सरकारी गुलाबी फ़ाइलों के अनुसार अवैध शराब से मरने वालों की संख्या से अधिक है लेकिन हक़ीक़त इससे विपरीत है, अब तक हजारों लोगों की अवैध शराब के कारण मौत नहीं बल्कि हत्या हुई है। इनका हत्यारा कौन और दोषी कौन? दोषियों पर क्या कारवाई हुई?

. क्या अब तक आज तक किसी बड़े पुलिस अधिकारी/पुलिस अधीक्षक पर कभी कोई कारवाई हुई?
. अगर पटना में शराब मिलती है तो उसका मतलब है – जिला पार कर यहाँ तक शराब पहुँची है, तो फिर यह उन सभी – जिलों की पुलिस की नाकामी है या नहीं?
. जानकारों के मुताबिक़ शराब माफिया मुख्यमंत्री से रिटायर्ड अधिकारी के मार्फ़त सीमावर्ती जिलों के पुलिस अधीक्षकों के पदस्थापन में खुली बोली के अंतर्गत पोस्टिंग करवाता है अर्थात् किस जिला में कौन अधिकारी जाएगा इसका चयन भी शराब माफिया ही करता है। क्या यह आरोप सही नहीं है?
. क्या यह सही नहीं है कि बिहार में शराबबंदी के बाद से अगस्त तक मद्यनिषेध विभाग की ओर से निषेध कानूनों के उल्लंघन से संबंधित कुल . लाख मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें कुल . लाख लोगों को अब तक गिरफ्तार किया गया है।
. मुख्यमंत्री बतायें कि गिरफ़्तार लोगों में अधिकांश गरीब व वंचित वर्गों से ही क्यों है?
. अब तक अथवा उससे ऊपर के स्तर के कितने अधिकारियों को सजा मिली? कितने बर्खास्त हुए?
. प्रतिदिन पुलिस और उत्पाद विभाग की ओर से करीब छापेमारी होती है उसके बावजूद भी शराब की अवैध तस्करी जारी है तो इसका दोषी कौन?
. क्या गृहमंत्री सह मुख्यमंत्री इसकी ज़िम्मेवारी लेंगे?
. क्या यह संयोग है अथवा प्रयोग कि शराबबंदी में अधिकांश जदयू के नेता/कार्यकर्ता पकड़ाए जा रहे है?
. मुख्यमंत्री बतायें कि बिहार के हर चौक-चौराहों पर शराब के ठेके किसने खुलवाये?

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