लोकसभा चुनाव 2024 के प्रत्याशियों को तैयारी का बहुत कम मौका मिलेगा। भारतीय जनता पार्टी की दूसरी सूची का इंतजार ही हो रहा है। भाजपा की पहली सूची में बिहार का नाम नहीं था। अब कांग्रेस ने भी सूची जारी की तो बिहार का नाम नहीं है। बिहार में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी एकता की जमीन तैयार हुई, लेकिन यहां ही संभावित उम्मीदवार अपने नाम की घोषणा की उम्मीद में बैठे हैं। बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन कहां अटका है|
उठापटक के बाद की तस्वीर साफ होने इंतजार
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, यानी एनडीए के पास बिहार की 40 में से 30 सीटें हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस को एक सीट मिली थी। उसके सहयोगी और बिहार में बड़े भाई राष्ट्रीय जनता दल के पास एक भी सांसद नहीं है। इस बार भी मुकाबला भारतीय जनता पार्टी, सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड और दिवंगत रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी से है। यह खेमा पहले के मुकाबले ताकतवर है, क्योंकि इस बार पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपनी पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर और उपेंद्र कुशवाहा अपने दल राष्ट्रीय लोक मोर्चा के साथ एनडीए की ओर से मोर्चा संभालने के लिए उतरे हुए हैं। लेकिन, कांग्रेस-राजद और वामदलों को कई और चीजों का इंतजार है। जैसे, मुकेश सहनी अपनी विकासशील इंसान पार्टी के साथ पक्के तौर पर किधर जाएंगे।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, यानी एनडीए के पास बिहार की 40 में से 30 सीटें हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस को एक सीट मिली थी। उसके सहयोगी और बिहार में बड़े भाई राष्ट्रीय जनता दल के पास एक भी सांसद नहीं है। इस बार भी मुकाबला भारतीय जनता पार्टी, सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड और दिवंगत रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी से है। यह खेमा पहले के मुकाबले ताकतवर है, क्योंकि इस बार पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपनी पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर और उपेंद्र कुशवाहा अपने दल राष्ट्रीय लोक मोर्चा के साथ एनडीए की ओर से मोर्चा संभालने के लिए उतरे हुए हैं। लेकिन, कांग्रेस-राजद और वामदलों को कई और चीजों का इंतजार है। जैसे, मुकेश सहनी अपनी विकासशील इंसान पार्टी के साथ पक्के तौर पर किधर जाएंगे।
एनडीए के प्रत्याशी तय हो जाएंगे तो टूटफूट रुकेगी
इसके अलावा 12 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बहुमत हासिल करने के दिन से अबतक कांग्रेस-राजद को लगातार जिस तरह से टूट का सामना करना पड़ रहा है, उस देखते हुए एनडीए के सीट बंटवारे के फाइनल होने तक महागठबंधन का इंतजार करना मजबूरी भी है। एनडीए के सीट बंटवारे के बाद प्रत्याशी घोषित हो जाएंगे, तब टूटफूट पर कुछ विराम लगेगा और तभी राजद-कांग्रेस को पता चलेगा कि उसकी तरफ से कौन नहीं टूट रहा। ऐसा इसलिए भी कि राजद-कांग्रेस के जो विधायक टूटकर भाजपा या सत्ता पक्ष की ओर गए, उनके बारे में तनिक भी उम्मीद इन दलों को नहीं थी।
इसके अलावा 12 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बहुमत हासिल करने के दिन से अबतक कांग्रेस-राजद को लगातार जिस तरह से टूट का सामना करना पड़ रहा है, उस देखते हुए एनडीए के सीट बंटवारे के फाइनल होने तक महागठबंधन का इंतजार करना मजबूरी भी है। एनडीए के सीट बंटवारे के बाद प्रत्याशी घोषित हो जाएंगे, तब टूटफूट पर कुछ विराम लगेगा और तभी राजद-कांग्रेस को पता चलेगा कि उसकी तरफ से कौन नहीं टूट रहा। ऐसा इसलिए भी कि राजद-कांग्रेस के जो विधायक टूटकर भाजपा या सत्ता पक्ष की ओर गए, उनके बारे में तनिक भी उम्मीद इन दलों को नहीं थी।