भारत के इतिहास को तीन वर्गों में बांटा गया है। इनमें दूसरे भाग को मध्यकालीन भारत कहा जाता है। मध्यकालीन इतिहास को पुनर्जागरण का भी दौर भी कहा जाता है। इटली को पुनर्जागरण का जनक कहा जाता है। इतिहाकारों की मानें तो इटली में सबसे पहले पुनर्जागरण हुआ था। इसके अग्रदूत दांते हैं। मध्यकालीन भारत में भक्ति युग का उदय हुआ है।
तत्कालीन समय में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में बुंदेल राजवंश का भी उदय हुआ था। बुंदेलों के बारे में कहा जाता है कि वे विंध्यवासिनी देवी के उपासक थे। इनके शासन क्षेत्रों को बुंदेलखंड कहा जाता है। बुंदेलखंड का प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति है। जेजाकभुक्ति गुप्त काल का प्रमुख राज्य था। यह नर्मदा और यमुना नदी के किनारे बसा है। बुंदेलखंड अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए बेहद लोकप्रिय है। साथ ही यह शूरवीरों का स्थल भी रहा है। इस पावन धरती पर कई शूरवीर पैदा हुए हैं। इसके लिए बुंदेलखंड को शूरवीरों का स्थल भी कहा जाता है। इतिहासकारों की मानें तो झांसी की रानी, मेजर ध्यानचंद, मैथलीशरण गुप्त जैसे महान लोगों का जन्म बुंदेलखंड की धरती पर हुआ है। अगर आप बुंदेलखंड के इतिहास से रूबरू होना चाहते हैं, तो इन जगहों की जरूर सैर करें-
झांसी का किला
झांसी के किले का निर्माण सन 1613 में बुंदेल नरेश बीर सिंह जूदेव ने करवाया था। बुंदेलों ने तकरीबन 25 वर्षों तक यहां शासन किया। इसके बाद किले पर मुगलों, मराठों और अंग्रेजों का शासन रहा। मराठा शासनकाल में इस जगह को शंकरगढ़ कहा जाता था। हालांकि, सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में खूब लड़ी मर्दानी झांसी की रानी ने किले से लड़ाई लड़ी थी। बुंदेलखंड की सभ्यता और संस्कृति से रूबरू होने के लिए झांसी का किला देखने जा सकते हैं।
खजुराहो
बुंदेलखंड में आकर्षण का केंद्र खजुराहो है। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में खजुराहो है, जो वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है। खजुराहो में कई प्राचीन और मध्यकालीन विश्व प्रसिद्ध सनातन और जैन धर्म के मंदिर हैं। इन मंदिरों का निर्माण चंदेल राजवंशों ने करवाया है। हर साल काफी संख्या में पर्यटक खजुराहो मंदिर और देव दर्शन के लिए आते हैं। अगर आप चंदेल वंश के अद्भुत वास्तुकला का सजीव चित्रण देखना चाहते हैं, तो एक बार खजुराहो जरूर जाएं।
पांडव गुफा
पांडव गुफा मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में स्थित है। महाभारतकालीन गुफा आज भी अवस्थित है। ऐसा कहा जाता है कि गृह त्याग के बाद पांडव इस गुफा में ठहरे थे। गुफा का निर्माण एक बड़े चट्टान पर किया गया है। पांडव गुफा के नाम पर पचमढ़ी शहर का नाम रखा गया है। आज भी पांडव गुफा यथावत अवस्थित है। हर रोज काफी संख्या में पांडव गुफा देखने पचमढ़ी आते हैं। आप जब कभी बुंदेलखंड की यात्रा करें, तो पांडव गुफा देखने पचमढ़ी जरूर जाएं।
 TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
				 
		
		 
						
					 
						
					