सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया में एफडीआई को मंजूरी के बाद केंद्र सरकार ने एयर इंडिया को बेचने की योजना तैयार कर ली है. प्रस्तावित मसौदे के तहत कंपनी को 4 भागों में बांटा जाएगा.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयर इंडिया को कोर एयरलाइन्स बिजनेस, रीजनल आर्म, ग्राउंड हैंडलिंग और इंजीनियरिंग ऑपरेशंस में बांटा जाएगा. बताया जा रहा है कि यह प्रक्रिया इस साल अंत तक पूरी कर ली जाएगी.
केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा है कि एयर इंडिया और इसकी सहायक एयर इंडिया एक्सप्रेस को एक कंपनी के रूप में बेचा जाएगा.
इस महीने एयर इंडिया को लेकर एक और बड़ा फैसला किया गया है. पिछले हफ्ते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एयर इंडिया में 49% तक एफडीआई की अनुमति देना का निर्णय किया गया. जिससे विदेशी विमानन कंपनियों के एयर इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि एयर इंडिया पर मालिकाना नियंत्रण किसी भारतीय का ही रहेगा.
संसद समिति में हंगामा
वहीं 15 जनवरी को संसद की एक समिति की इस संबंध में एक बैठक हुई, जो काफी हंगामेदार रही. बैठक में कुछ सदस्यों ने एयर इंडिया के विनिवेश का विरोध करने वाली मसौदा रिपोर्ट को वापस लेने की मांग की जिस पर विपक्ष के कुछ सदस्य विरोध जताते हुए बैठक से बाहर चले गए.
मसौदे में क्या है
समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में कहा था कि एयर इंडिया में हिस्सेदारी को बेचने का सही समय नहीं है और एयरलाइन को फिर से खड़ा होने के लिए कम से कम पांच साल दिए जाने चाहिए. 31 सदस्यीय समिति के 16 सदस्यों ने मसौदा रिपोर्ट को अपनाने पर लिखित में अपना विरोध दर्ज कराया था. इनमें से अधिकतर सदस्य सत्ताधारी बीजेपी के हैं जो एयर इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के पक्ष में हैं.
दरअसल, नौ दशक पहले शुरू हुई एयर इंडिया की आर्थिक स्तिथि पिछले दस सालों में काफी बिगड़ी है. एयरलाइंस का घाटा लगातार बढ़ रहा है. जिसके बाद सरकार ने एयर इंडिया में एफडीआई का फैसला किया है.
कितना कर्ज
मार्च 2017 के अंत में एयर इंडिया का कुल कर्ज 48,877 करोड़ रुपये था, जिसमें से 17,360 करोड़ रुपये विमान ऋण था और 31,517 करोड़ रुपये पूंजीगत ऋण था.