राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के पौने दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद विभिन्न बोर्ड एवं निगमों में नियुक्तियां नहीं होने को लेकर निर्णय नहीं हो पा रहा है। सीएम गहलोत और सचिन पायलट की आपसी खींचतान के चलते फैसले अटके हुए हैं। इसी बीच समय पर आयोगों और बोर्डों में नियुक्तियां नहीं होने पर हाईकोर्ट की अवमानना के मामले में फंसी राज्य सरकार को गुरुवार को जवाब पेश करना है। राज्य सरकार अब इसका तोड़ निकालने में जुटी है, जिसकी पूरी तैयारियां की जा चुकी हैं।
यह है पूरा मसला
सरकार बनने के बाद विभिन्न बोर्ड और आयोगों में नियुक्तियां नहीं होने पर पिछले साल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद सख्ती दिखाते हुए सरकार को आदेश दिये थे कि जल्द ही नियुक्तियां करें, लेकिन सरकार ने उसके बाद भी नियुक्तियां नहीं की है। कोर्ट में तत्कालीन मुख्य सचिव डी.बी.गुप्ता ने कोर्ट में कहा था सरकार जल्द ही निुयक्ति प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। लेकिन अब तक कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। इससे सरकार हाईकोर्ट की अवमानना के मामले में फंस गई। इस मामले में गुरुवार को सुनवाई होगी, सरकार को नियुक्तियों को लेकर कोर्ट में जवाब देना है।
सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल सचिवालय ने जवाब दाखिल करने की पूरी तैयारी कर ली है। अधिकारियों ने बताया कि कोर्ट की अवमानना का मामला पूर्व मुख्य सच से जुड़ा था। गुप्ता अब मुख्य सचिव नहीं है। गुप्ता की जगह राजीव स्परूप मुख्य सचिव बन गए। ऐसे में कोर्ट की अवमानना के मामले में सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया जाए। सरकार इस तर्क को कोर्ट में रखकर बचने का प्रयास कर रही है। इससे सरकार को समय मिल जाएगा। इसके बाद सरकार विभिन्न बोर्डों और आयोगों में नियुक्तियों की प्रक्रिया पूरी कर लेगी। सरकार के शीर्ष स्तर पर नियुक्तियों को लेकर तेजी से मंथन चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि गुप्ता ने पिछले साल 30 सितंबर को पालना रिपोर्ट पेश करते हुए कोर्ट में बताया था कि सरकार शीघ्र ही नियुक्तियां करेगी।