ब्रिटेन के प्रतिष्ठित अखबार ने ‘मोटी महिलाओं’ को लेकर कुछ ऐसा लिखा दिया कि बवाल मच गया। इतना ही नहीं इस आर्टिकल पर भड़की एक इराकी एक्ट्रेस ने कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दे दी है।
दुनिया में हमेशा इस पर डिबेट होती रहती है कि पतले और मोठे होने में क्या फर्क है और क्या पैमाना है कि इन दोनों में ज्यादा खूबसूरत कौन होते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह एक अंतहीन डिबेट का हिस्सा है। अभी हाल ही में ब्रिटेन के एक प्रतिष्ठित अखबार ने ‘मोटी महिलाओं’ को लेकर कुछ ऐसा लिखा दिया कि बवाल मच गया। इतना ही नहीं इस आर्टिकल पर भड़की एक इराकी एक्ट्रेस ने कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दे दी है।
औरतों पर लिखे लेख में ‘मोटी’ शब्द का प्रयोग
दरअसल, ब्रिटिश अखबार ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने हाल में अरब की औरतों पर लिखे एक लेख में ‘मोटी’ शब्द का प्रयोग किया। यह आर्टिकल इस शीर्षक से लिखा गया था कि ‘अरब दुनिया में पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक मोटी क्यों हैं।’ इतना ही नहीं इस आर्टिकल में उसी इराकी एक्ट्रेस की तस्वीर का प्रयोग किया गया है जिसने कार्रवाई की धमकी दी है। इस इराकी अभिनेत्री का नाम इनस तालेब है।
आर्टिकल में बताया अरब की महिलाएं किस स्थिति में!
इस विवादित लेख के बारे में अपनी एक रिपोर्ट में बीबीसी ने बताया कि इराकी अभिनेत्री इनस तालेब का कहना है कि उनकी तस्वीर का इस्तेमाल बिना किसी अनुमति के किया गया है। उन्होंने इसे अपनी निजता का उल्लंघन बताया है। उनका यह भी आरोप है कि उनकी तस्वीर के साथ छेड़छाड़ भी किया गया है। आर्टिकल में यह बताया गया है कि अरब की महिलाएं किस स्थिति में रहती हैं और उनके रहन सहन का प्रभाव उनकी शरीर पर दिख जाता है।
लेख में इराकी अभिनेत्री की तस्वीर का इस्तेमाल
रिपोर्ट के मुताबिक द इकोनॉमिस्ट ने यह लेख पिछले महीने लिखा है और इसमें तालेब की तस्वीर को इस्तेमाल किया गया था। हालांकि उनकी यह तस्वीर नौ महीने पुरानी है। लेख में यह तर्क दिया गया है कि गरीबी और महिलाओं को घर से बाहर न निकलने देने के लिए लगाए गए सामाजिक प्रतिबंध उन कारणों में से हैं, जिनकी वजह से पुरुषों की तुलना में अरब महिलाएं अधिक वजन वाली हैं। लेख में कई अन्य कारकों का भी जिक्र किया गया है।
अरब के लोग लेख से नाराज नजर आए
यह लेख जब पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना तो अरब के कई लोग इससे खासे नाराज नजर आए। तालेब भी उन्हीं में से एक हैं। कई लोगों ने इस लेख को अरब महिलाओं का अपमान बताया है। कई अन्य यूजर्स ने इस लेख को घटिया बताते हुए इसे तथ्यों से परे बताया है। अरब के कुछ स्तंभकारों ने भी द इकोनॉमिस्ट की आलोचना की और इसे बैन करने की मांग भी कर डाली।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features