सूत्रों की मानें तो इस फेरबदल में कुछ नए चेहरों को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली को डिफेंस मिनिस्ट्री की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। इसकी वजह डिफेंस मिनिस्टर रहे मनोहर पर्रिकर को गोवा का सीएम बनाया जाना है।
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डिफेंस और फाइनेंस मिनिस्ट्री को ज्यादा वर्कलोड वाले डिपार्टमेंट माना जाता है। लिहाजा नए डिफेंस मिनिस्टर की नियुक्ति की संभावना जताई जा रही है। बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीते के बाद भी जेटली को डिफेंस का एडिशनल चार्ज दिया गया था। लेकिन के अरेंजमेंट कामयाब नहीं हुआ। बाद में तब गोवा के सीएम रहे पर्रिकर को डिफेंस मिनिस्टर बनाया गया।
हालांकि जानकारों का कहना है कि डिफेंस का एडिशनल चार्ज संभाल रहे जेटली इस वक्त खास जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं। डिफेंस मिनिस्टर होने के नाते वे यहां भी फाइनेंशियल डिमांड का मुद्दा उठा सकते हैं।
एक अफसर के मुताबिक, “किसे कौन सी भूमिका में रखा जाएगा, ये कहना अभी कठिन होगा। संभावना इस बात की भी है कि सुषमा स्वराज से विदेश मंत्रालय का चार्ज ले लिया जाए। दिसंबर में उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। हालांकि लोकसभा में अपनी 15 मिनट की स्पीच में कंफर्टेबल नजर आई थीं।”
हालांकि अफसरों का ये भी कहना है कि कैबिनेट में कुछ नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं। वहीं, कुछ का प्रमोशन भी हो सकता है। मई में मोदी सरकार के 3 साल पूरे हो रहे हैं। माना जा रहा है कि अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी वे नए लोगों को दे सकते हैं। माना जाता है कि जब पार्लियामेंट सेशन चल रहा हो, उस दौरान किसी तरह का फेरबदल नहीं किया जाता। हालांकि ऐसा कोई नियम नहीं है।
मोदी ने पिछले साल जुलाई में फेरबदल किया था। तब एचआरडी मिनिस्टर रहीं स्मृति ईरानी को टेक्सटाइल और सदानंद गौड़ा को लॉ से हटाकर स्टेटिसटिक्स मिनिस्ट्री की जिम्मेदारी दी गई थी। वेंकैया नायडू को इन्फॉर्मेशन-ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्ट्री मिली थी, वहीं एमजे अकबर को विदेश राज्य मंत्री बनाया गया था।