पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 4 सिटिंग जज न्यायपालिका की खामियों की शिकायत लेकर मीडिया के सामने आए तो सरकार में हड़कंप मच गया. सिटिंग जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुंरत बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है.
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सूत्रों की मानें, तो सरकार अभी इस मामले में चीफ जस्टिस के रुख का इंतजार कर रही है. उसके बाद ही सरकार की ओर से कोई बयान आ सकता है, अभी इस मामले पर दूरी बनाई जा रही है.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि ये बहुत ही गंभीर मामला है. उन्होंने कहा कि जजों का बहुत बलिदान दिए हैं और उनकी नियत पर सवाल नहीं उठाए जा सकते. उन्होंनेे कहा कि चारों जज बहुत ही ईमानदार है और वो याचिकाकर्ता की बाते जिस तरह से सुनते हैं और फैसला लिखते हैं वह काबिले तारीफ है. जजों की वेदना को समझना चाहिए. स्वामी ने पीएम नरेंद्र मोदी से इस मामले में दखल देने की मांग की है.
वरिष्ठ वकील उज्जवल निकम ने इस पूरे मामले पर कहा कि ये न्यायपालिका के लिए काला दिन है. आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद हर कोई न्यायपालिका के फैसले को शक की निगाहों से देखेगा. उन्होंने कहा कि अब से हर फैसले पर सवाल उठने शुरू हो जाएंगे.
न्यायपालिका में ये पहला मौका होगा जब सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने मीडिया को संबोधित किया. चीफ जस्टिस के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस चेलमेश्वर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कभी-कभी होता है कि देश के सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था भी बदलती है. सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है, अगर ऐसा चलता रहा तो लोकतांत्रिक परिस्थिति ठीक नहीं रहेगी. उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी.
जजों ने बताया कि चार महीने पहले हम सभी ने चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखा था. जो कि प्रशासन के बारे में थे, हमने कुछ मुद्दे उठाए थे लेकिन उन मुद्दों को अनसुना किया गया.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जजों ने कहा कि चीफ जस्टिस पर देश को फैसला करना चाहिए, हम बस देश का कर्ज अदा कर रहे हैं. जजों ने कहा कि हम नहीं चाहते कि हम पर कोई आरोप लगाए. यही पहली बार है कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल थे.