आगामी लोक सभा चुनाव को लेकर भाजपा इन दिनों अपने सहयोगी दलों को साधने के चक्कर में उलझी हुई है . शिव सेना को मनाने की कोशिशों के बीच बिहार में सीटों को लेकर सहयोगी दलों की खींचतान को लेकर चिंतित है . अब जेडीयू राजग में शामिल हो गई है , जिससे राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा गए हैं . पूर्व में राजग का सदस्य नहीं रहने वाली जेडीयू के लिए सीटों की गुंजाईश कम है.
बता दें कि कल गुरुवार को हुए सहयोगी दलों के भोज से पहले लोजपा का सात सीटों पर दावा, रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की भोज से बनाई दूरी ने खटपट के संकेत दे दिए हैं.जदयू को 25:15 के पुराने फार्मूले का राग जोर पकड़ रहा है .जबकि भाजपा भी जानती है कि जेडीयू को ज्यादा देने के लिए कुछ नहीं है.इसीलिए लोजपा और रालोसपा को अपनी सीटें कम होने का खतरा हो रहा है .
उल्लेखनीय है कि गत लोक सभा चुनाव के समय जेडीयू राजग में नहीं थी .तब भाजपा 30, लोजपा 7 और रालोसपा 3 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. राजग को कुल 31 सीटें (भाजपा 22, लोजपा 6 और रालोसपा 3) मिली थी. यदि तीनों दल पुरानी सीटों पर मान भी गए तो जदयू को लड़ने के लिए सिर्फ वे 9 सीटें ही मिल सकती है ,जहाँ राजद का प्रभाव है.हालाँकि डिप्टी सीएम सुशील मोदी का खेमा लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के लिए जदयू के लिए त्याग करने की अपील कर रहा है .दलित मुद्दे पर घिरी पार्टी न तो पासवान और न ही नाराज कुशवाह को छोड़ना चाहेगी. ऐसे में भाजपा अंत समय में सीटों के पत्ते खोलेगी, ताकि विकल्प कम रहें .
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