‘भारत लैंगिक भेदभाव को पाटने के अनुभव को साझा करने के लिए तैयार’, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी का बयान

संयुक्त राष्ट्र में भारत के महिला सशक्तीकरण के साथ ही डिजिटलीकरण की सराहना हुई है। भारत ने एक बार फिर महिलाओं के नेतृत्व में देश के विकास के साथ आगे बढ़ने पर जोर दिया। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में महिलाओं की स्थिति हो रहे 69वें सत्र में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि भारत लैंगिक डिजिटल बंटवारे को पाटने के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का उपयोग करने के अपने अनुभव को दुनिया के साथ साझा करना चाहता है। भारत महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के साथ आगे बढ़ रहा है। भारत एक ऐसे देश का निर्माण कर रहा है जहां महिलाएं अवधारणा से लेकर डिजाइन, कार्यान्वयन और निगरानी तक में भाग लेकर सक्रिय आर्किटेक्ट के रूप में नेतृत्व करती हैं। जो भारत के विकास पथ को विकसित राष्ट्र की ओर आकार देती है।

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन और यूएन वूमन द्वारा महिला सशक्तीकरण के लिए डिजिटल और वित्तीय समावेशन और महिला सशक्तीकरण के लिए वित्तपोषण – मुख्य संसाधनों की महत्वपूर्णता’ पर आयोजित मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में भाग ले रही हैं। महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग का 69वां सत्र 10 मार्च को शुरू हुआ और 21 मार्च तक चलेगा। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के साथ अपने अनुभव को साझा करने में प्रसन्न है। उन्होंने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए संसाधनों की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि भारत में विकसित यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) ने नियमित लेन-देन की प्रणाली को बदल दिया है। पूर्ण डाटा सुरक्षा के क्षेत्र को पूरी तरह से डिजिटल बना दिया है, जिसमें 87.35 मिलियन लेन-देन हुए हैं। यह 147% बढ़ गए हैं। इसमें लिंग, शहरी, ग्रामीण, अमीर और गरीब की बाधाओं को पार कर लिया गया है और महिलाएं तेजी से डिजिटल भुगतान इंटरफेस को अपना रही हैं। राष्ट्रों को सचेत रहना होगा कि महिलाओं के डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन डाटा और गोपनीयता की रक्षा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज की तकनीकी दुनिया में प्रौद्योगिकी के सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग के लिए विनियमन को संतुलित करने की आवश्यकता है। भारत सरकार जानती है कि महिलाओं की गरिमा और राष्ट्र निर्माण में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण आवश्यक है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी हरीश ने बताया कि कैसे आधार ने भारत की अनूठी आधारभूत पहचान प्रणाली और एकीकृत भुगतान इंटफेस ने सहज लेनदेन के माध्यम से 250 मिलियन से अधिक भारतीय महिलाओं को लाभान्वित किया है। भारत ने जी20 अध्यक्षता के दौरान इस महत्वपूर्ण एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक महिला सशक्तीकरण कार्य समूह की भी स्थापना की।

यूएन वूमन की कार्यकारी निदेशक सिमा बहौस ने इंडिया स्टैक और यूपीआई विकसित करने में भारत के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमें उन बाधाओं को दूर करना होगा जो महिलाओं को डिजिटल और वित्तीय प्रणालियों से दूर रखती हैं। सरकारों को सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश करना चाहिए जो महिलाओं को प्राथमिकता देता है। भारत स्टैक और एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (UPI) विकसित करने में भारत का नेतृत्व यह साबित करता है कि जब समावेशन नवाचार के मूल में होता है तो क्या संभव है।

उन्होंने कहा कि भारत में हमने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के माध्यम से डिजिटल वित्तीय समावेशन की शक्ति देखी है। डिजिटल भुगतान ने महिलाओं के रोजगार और स्वायत्तता को बढ़ाया है। यह एक वैकल्पिक एजेंडा नहीं है। यह एक बेहतर दुनिया का खाका है। आइए हम साहसी बनें। हम ऐसी दुनिया को स्वीकार करने से इनकार करें जहां आधी आबादी को पीछे रखा जाता है। भविष्य डिजिटल है। भविष्य को वित्तीय रूप से समावेशी होना चाहिए। अगर हम इसे सही तरीके से करते हैं, तो भविष्य न केवल समानता का वादा करेगा, बल्कि इसकी गारंटी भी देगा।

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