महाशिवरात्रि पर्व पर काशी आधी रात के बाद से ही बम बम है। आस्थावानों के जयकारे और उद्घोष के साथ ही शिवालयों पर आस्था की कतार जलाभिषेक के लिए उमड़ी तो लगा मानो आस्था का पूरा सागर ही उमड़ पड़ा हो। तड़के गंगा स्नान करने के बाद लोगों ने जल भरकर बाबा दरबार की ओर रुख किया तो परिसर हर हर बम- बम से गूंज उठा। मंदिर प्रशासन की ओर से जारी सूचना के अनुसार सुबह दस बजे तक एक लाख लोगों ने बाबा दरबार में जलाभिषेक कर लिया था।
दोपहर 12 बजे तक बाबा दरबार में करीब डेढ़ लाख लोगों ने बाबा दरबार में दर्शन पूजन कर लिया तो लोगों की भीड़ भी कम हो चली। वहीं मैदागिन से चौक थाने वाली कतार खाली होने से यातायात भी बहाल हो गया। हालांकि, लक्सा लाइन दोपहर तक पूरी तरह आस्थावानों से भरी रही। दोपहर में धूप और चटख हुई तो आस्थावानों ने सिर ढंककर अपनी बारी का इंतजार किया।
काशी विश्वनाथ स्थित बाबा दरबार के अलावा बीएचयू विश्वनाथ दरबार, रामेश्वर, तिलभांडेश्वर महादेव, मारकंडेश्वर महादेव आदि प्रमुख शिवालयों में आस्थावानों की भीड़ उमड़ी। गंगा – गोमती संगम स्थल के अलावा विभिन्न घाटों पर शिवालयों में लोगों ने जलाभिषेक कर अपनी आस्था व्यक्त की। गंगा घाट से लेकर एक ओर कतार बाबा दरबार तक थी तो दूसरी ओर मैदागिन और चर्च के पास से भी बाबा दरबार तक लोगों की अनवरत कतार दिन चढ़ने तक बरकरार रही।
महाशिवरात्रि पर्व के मौके पर सारनाथ स्थित सारंगनाथ महादेव मंदिर पर दर्शन पूजन के लिए सुबह से ही आस्था की कतार लगी रही। भक्त मन्दिर के मुख्य द्वार भीतर तक कतारें दोपहर तक लगी रहीं। दर्शन पूजन के लिए सुबह से ही भक्त हाथों में पवित्र जल , बेलपत्र , माला- फूल लेकर कतार में खड़े होकर जलाभिषेक के लिए अपनी बारी आने का इंतजार करते रहे। वहीं पूर्वांचल के अन्य प्रमुख मंदिरों में भी आस्थावानों की कतार लगी रही। भदोही, मीरजापुर, चंदौली, गाजीपुर और बलिया आदि जिलों में सुबह से ही गंगा नदी में स्नान करने वालों की भीड़ लगी रही। जबकि मऊ, आजमगढ़ और बलिया जिले में सरयू नदी के तट पर भी स्नान दान की परंपरा का निर्वहन किया गया। सोनभद्र में सोन नदी और जौनपुर में गोमती नदी के तट पर आस्थावानों ने स्नान दान कर अपनी आस्था प्रकट की।
भोलेनाथ की नगरी काशी में एक दिन पूर्व से ही दर्शन करने आने वालों की भीड़ नजर आने लगी थी। वहीं आधी रात के बाद से ही द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल काशी विश्वनाथ दरबार में हाजिरी लगाने और जलाभिषेक की मंशा लिए लोगों की भीड़ डटी रही। तड़के गंगा में स्नान ध्यान कर बाबा दरबार की ओर लोगों की भीड़ बढ़ी तो सुरक्षा चाक चौबंद नजर आई। बैरियर से होकर लोगों को दर्शन के लिए कतारबद्ध किया गया।
महाशिवरात्रि पर काशी में भक्तों संग 45 घंटे जागेंगे बाबा
काशी में महाशिवरात्रि पर बाबा का विवाहोत्सव मनाने की परंपरा है। इस विशेष तिथि पर शिवयोग का दुर्लभ संयोग मिल रहा है। इस योग में बाबा का विवाहोत्सव मनाया जाएगा। इस बार विशेष रूप से बाबा सूखे मेवे का सेहरा धारण करेंगे तो वहीं माता पार्वती गुजराती लहंगा पहनेंगी। इसके साथ ही काशी में बाबा की बरात भी निकाली जाएगी। जिसमें बाबा के गण शामिल रहते हैं। बरात में शामिल होने वाले भक्त बाबा के मित्रों का वेष धरे रहते हैं। इसके साथ ही आज मंगलाआरती से लेकर 12 मार्च को रात 11 बजे तक बाबा भक्तों के साथ जगेंगे।
गंगा जमुनी तहजीब की बिखरी रंगत
धर्म और आध्यात्म के साथ ही मोक्ष की भी नगरी काशी में प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी महाशिवरात्रि का अनोखा रंग चढ़ा नजर आया। काशी में मुस्लिमों ने शिव भक्तों पर मंदिर दर्शन के लिए जाते समय पुष्पवर्षा कर गंगा जमुनी तहजीब की परंपरा का निर्वहन किया। गंगा – जमुनी तहजीब की परंपरा के निर्वहन की यह प्रत्येक वर्ष प्रक्रिया अब परंपरा का हिस्सा बन चुकी है। सुबह से ही मंदिर में दर्शन के लिए जाते समय आस्थावानों पर टोकरी से भरकर सभी पर पुष्पवर्षा कर भाईचारा और सौहार्द का संदेश दिया।