सरकार के सूत्रों ने इन आशंकाओं को सिरे से खारिज कर दिया और संकेत दिया कि ट्रूडो के साथ सामान्य राजनयिक प्रोटोकॉल का पालन किया गया। इसके साथ ही कनाडा की ओर से इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया गया कि ऐसे दौरों के पहले हिस्से में द्विपक्षीय बैठकों की सामान्य परंपरा से हटकर ट्रूडो की दिल्ली में होने वाली आधिकारिक मुलाकातों को अंत में रखा गया।
खलिस्तानियों के समर्थन को भी बताया गया कारण
सूत्रों का कहना है कि यह काफी असामान्य है कि दौरे पर आने वाले नेता की महत्वपूर्ण बातचीत को दौरे के अंत में रखा जाए। कनाडाई मीडिया में इस बात की भी चर्चा है कि मोदी के गृह राज्य गुजरात के दौरे के दौरान भी भारतीय प्रधानमंत्री ट्रूडो के साथ नहीं गए।
बता दें कि दौरे के अंत के एक दिन पहले शुक्रवार को ट्रूडो की मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता है। कनाडाई मीडिया की आलोचनाओं को निराधार बताते हुए एक अधिकारी ने कहा कि महत्वपूर्ण नेताओं को लेकर हमारे अपने पैरामीटर हैं। वहीं सूत्रों ने कहा कि ट्रूडो के गुजरात दौरे में ऐसी कुछ भी नहीं था जिसके लिए प्रधानमंत्री की उपस्थिति आवश्यक थी।
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