नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे ज्यादा सीटें जिताने वाले उत्तर प्रदेश को पूरी तवज्जो देते हुए अपने मंत्रिमंडल में यहां के आठ लोगों को स्थान दिया है। इनमें दो महिलाएं शामिल हैं। तीन को कैबिनेट,ए दो को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और तीन को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी खुद भी उत्तर प्रदेश से ही सांसद हैं। मेनका गांधी को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। पर माना जा रहा है कि उन्हें कोई अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। चर्चा यह भी है कि उन्हें लोकसभा अध्यक्ष बनाया जाएगा। लगातार दूसरी बार वाराणसी से चुनाव लड़कर सांसद बने मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में उत्तर प्रदेश का दबदबा बनाकर यह संदेश दे दिया है कि 2014 में काशी से चुनाव लडऩे आए मोदी खुद को उत्तर प्रदेश वाला सिर्फ कहते नहीं है बल्कि वह इस प्रदेश के महत्व को दिल से स्वीकार भी करते हैं।
इसीलिए न सिर्फ उन्होंने खुद को उत्तर प्रदेश का सांसद बनाकर इस प्रदेश के खाते में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद भाजपा का दूसरा प्रधानमंत्री देने का रिकार्ड दर्ज कराया बल्कि अपने अलावा 8 मंत्री भी बनाए। जिनमें कैबिनेट मंत्री के रूप में राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी, डॉ. महेंद्रनाथ पांडेयए राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में संतोष गंगवार, प्रदेश से राज्यसभा सदस्य हरदीप पुरी और राज्यमंत्री के रूप में वीके सिंह, साध्वी निरंजन ज्योति, डॉण् संजीव बालियान शामिल हैं। मंत्रिमंडल गठन के फॉर्मूले में मोदी 2014 की राह पर ही चलते दिख रहे हैं।
मेनका गांधी के अलावा अनुप्रिया पटेल, डॉ महेश शर्मा और डॉ सत्यपाल सिंह जैसे कई चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है लेकिन 2014 पर नजर डालें तो आगे मंत्रिमंडल विस्तार के समय इन्हें मंत्री बनाया जा सकता है। कारण पिछली बार भी मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते वक्त अपने अलावा यूपी से आठ मंत्री ही बनाए थे। जिनमें ये चेहरे शामिल नहीं थे। पिछली बार मोदी के साथ शपथ लेने वाले कलराज मिश्र और उमा भारती चुनाव ही नहीं लड़े। पिछली बार प्रधानमंत्री के साथ प्रदेश के चार चेहरों ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली थी। इस बार यह संख्या तीन है।
मोदी ने अपनी कैबिनेट में उत्तर प्रदेश के जिन चेहरों को शामिल किया है उससे साफ है कि नामों का चयन करते वक्त उनकी नजर न सिर्फ वरिष्ठता और अनुभव को सम्मान देने पर रही है बल्कि परिश्रम को महत्व देने का संदेश देने पर भी टिकी रही है। इसीलिए एक तरफ राजनाथ सिंह को दूसरे नंबर पर शपथ दिलाई गई तो राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी को भी कैबिनेट मंत्री बनाकर अमेठी के सहारे न सिर्फ रायबरेली बल्कि उत्तर प्रदेश को भी खास संदेश दिया है। संदेश यह है कि राहुल की हार के बावजूद भाजपा अमेठी की अनदेखी नहीं करने वाली।
डॉ महेंद्रनाथ पांडेय को भी कैबिनेट मंत्री बनाकर उन्हें उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष के रूप में संगठन को विस्तार देने और प्रदेश में सत्ता व संगठन के बीच बेहतर समन्वय से भाजपा के अनुकूल समीकरण बनाने का ईनाम दिया गया है। उत्तर प्रदेश से मंत्री बनाने वरिष्ठता, परिश्रम के साथ सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन पर भी नजर रखी गई है। साथ ही यह भी संकेत निकल रहा है कि मंत्रियों के चयन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राय को भी महत्व दिया गया है।
इसीलिए संतोष गंगवार, वीके सिंह और संजीव बालियान के रूप में न सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश को भागीदारी दी गई है बल्कि अगड़े और पिछड़े समीकरणों को संतुलित रखने की कोशिश करते हुए खासतौर से जाट व कुर्मियों को महत्व का संदेश देने की कोशिश की गई है। गंगवार आठ बार के सांसद हैं जबकि बालियान दूसरी बार के। बालियान को चौधरी अजित सिंह को हराने का इनाम मिला है तो गंगवार के जरिये वरिष्ठता को सम्मान देने की कोशिश है।
पूर्वांचल से खुद होने और पांडेय को लेकर मोदी ने इस क्षेत्र में भी अगड़े व पिछड़ों का संतुलन साधने के साथ प्रदेश की लगभग 12 प्रतिशत से अधिक ब्राह्मण आबादी को भी महत्व देने का संदेश दिया है। राजनाथ, ईरानी और साध्वी निरंजन ज्योति के जरिये मध्य उत्तर प्रदेश में भी अगड़ा व पिछड़ा संतुलन साधने की कोशिश की गई है। सिंह के रूप में अगड़ों में ब्राह्मण के साथ ठाकुरों को भी महत्व का संदेश दिया गया है और साध्वी के रूप में निषाद जाति को महत्व देकर अति पिछड़े एजेंडे को महत्व मिला है।