आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर नक्सली चुनौती, कश्मीर के बेकाबू हालात, सरहद पर पाकिस्तानी फौज के नापाक इरादे, रोजगार सृजन में अपेक्षित प्रगति का अभाव जैसे सवालों से ध्यान भटकाने को प्रोन्नति में आरक्षण का दांव मोदी के मिशन 2019 के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।
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मोदी भारतीय राजनीति के इतिहास में दूसरे वीपी सिंह बन जाएंगे, जिनका आज कोई नामलेवा नहीं है। सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछडे लोगों को आरक्षण देना अच्छा कदम था। अभी भी इसे जारी रखने की जरूरत है। लेकिन प्रोन्नति में इसका कोई औचित्य नहीं है। प्रोन्नति परफार्मेंस और सेवावधि आदि मानकों पर ही होना चाहिए ।
आज जरूरत इस बात की है कि सरकार आरक्षण की समीक्षा करने का साहस दिखाए । क्रीमीलेयर की शनाख्त कर उसे इसके लाभ से वंचित करें ताकि आरक्षण पात्रता की श्रेणी में आने के बावजूद इसके लाभ से वंचित लोगों को आरक्षण का लाभ मिले। सरकारी नौकरियां कम होती जा रही हैं।
ऐसे में आरक्षण लाभ-हानि से ज्यादा धारणा का मामला है। मोदी सरकार प्रोन्नति में आरक्षण का जिन्न बोतल से बाहर लाकर दलित व पिछडे क्षत्रपों को और कितना कमजोर कर देंगे, अनुमान लगाना कठिन है पर इतना तय है कि अब तक मोदी-मोदी चिल्लाने वाले तमाम लोग मुर्दाबाद का जाप करने लगेंगे।
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