उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जिस दिन अन्नदाताओं को उनकी फसल का एमएसपी देने की व्यवस्था पर कोई आंच आएगी, उसी दिन वह अपना पद छोड़ देंगे। दुष्यंत यहां अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि नए कृषि विधेयकों में कहीं भी फसलों के एमएसपी को समाप्त करने की बात नहीं कही गई है। किसानों की फसल अनाज मंडियों में बिना किसी रुकावट के निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ही खरीदी जाएगी।
ज्यादा कीमत का अवसर मिलने पर किसान चाहें तो खुले बाजार में भी बेच सकेंगे। चौटाला ने कहा कि किसानों के लिए एमएसपी का अधिकार बरकरार रहेगा और इस विषय पर आम लोग किसी के बहकावे में न आएं।
उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने राजनीतिक स्वार्थ की खातिर भोले-भाले किसानों को गुमराह करने में लगे हुए हैं। नए विधेयकों का विरोध करने वाले हुड्डा ने मुख्यमंत्री रहते हुए न केवल खुले बाजार की वकालत की थी, बल्कि केंद्र की तात्कालिक मनमोहन सिंह सरकार की गठित समिति के चेयरमैन के तौर पर इन सिफारिशों पर दस्तखत भी किए थे।
उन्होंने कहा कि हुड्डा किसानों को बताएं उनकी इस दोगली नीति को अपनाने के पीछे क्या मजबूरी है और कांग्रेस प्रदेश के किसानों को क्यों गुमराह कर रही है।
यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में भी कांग्रेस पार्टी के विजन डॉक्यूमेंट में कांट्रैक्ट फार्मिंग की वकालत की गई थी, लेकिन राजनीति से विवश कांग्रेसी आज व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अगले माह से खरीफ फसलों का एक-एक दाना तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा। उन्होंने किसानों की शंकाओं को दूर करते हुए कहा कि बाजरा, धान के अलावा पहली बार मक्के की फसल की भी सरकार एमएसपी पर खरीद करेगी। खरीफ की फसल खरीद का भुगतान एक सप्ताह के भीतर किसानों के खाते में कर दिया जाएगा।