प्रदेश सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए उन वस्तुओं की सूची को स्पष्ट कर दिया है, जिन पर शून्य जीएसटी लागू होगा। यह फैसला आम जनता के लिए राहत भरा माना जा रहा है, क्योंकि सूची में शामिल वस्तुएं रोजमर्रा की जरूरतों और बुनियादी उपभोग से जुड़ी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से एक ओर जहां लोगों को आर्थिक लाभ मिलेगा, वहीं दूसरी ओर छोटे कारोबारियों के लिए कर प्रणाली सरल होगी।
नई अधिसूचना में शून्य जीएसटी वाली वस्तुओं का अलग से उल्लेख किया गया है। इनमें खाद्य पदार्थ, शैक्षिक सामग्री और कुछ जरूरी सेवाएं शामिल हैं। यह कदम सरकार की ‘जनहित और उपभोक्ता हितैषी नीति’ की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों, गुरुद्वारों और दरगाहों द्वारा आपूर्ति किया गया प्रसाद पर भी जीएसटी नहीं लगेगा। इन वस्तुओं को शून्य कर दायरे में रखने से सरकार का सीधा संदेश है कि बुनियादी उपभोक्ता वस्तुओं पर कर का बोझ जनता पर नहीं डाला जाएगा।
ये वस्तुएं हैं शून्य जीएसटी के दायरे में
अधिसूचना के अनुसार, शून्य जीएसटी वाली वस्तुओं में वे उत्पाद शामिल हैं, जो सीधे तौर पर आम आदमी की जिंदगी से जुड़े हैं। खासकर गरीब और मध्यम वर्ग के उपभोग की वस्तुओं को इसमें रखा गया है।
1 गेहूं, चावल और दालें बिना पैकिंग व बिना ब्रांड वाले अनाज और दालें
2 ताजे फल व सब्जियां कच्चे और प्राकृतिक रूप से बिकने वाले उत्पाद
3 दूध बिना पैकेट और बिना प्रोसेस्ड दूध
4 अंडे और मीट बिना प्रोसेसिंग के सीधे बिकने वाले उत्पाद
5 किताबें शैक्षिक किताबें और नोटबुक
6 नमक खाद्य नमक पूरी तरह शून्य कर श्रेणी में
7 हैंडमेड उत्पाद जैसे टोकरी, रस्सी, पारंपरिक कुटीर उत्पाद
राहत और असर
शून्य जीएसटी सूची का सबसे बड़ा लाभ गरीब और निम्न-मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं को मिलेगा। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये वस्तुएं टैक्स के दायरे में लाई जातीं तो महंगाई पर सीधा असर पड़ता। लेकिन सरकार ने इन्हें छूट देकर उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ कम किया है।
इसके साथ ही शिक्षा क्षेत्र को भी राहत दी गई है। किताबों और नोटबुक पर शून्य जीएसटी से छात्रों और अभिभावकों को फायदा होगा। वहीं, कृषि उत्पादों पर टैक्स न होने से किसानों को भी परोक्ष रूप से लाभ मिलेगा, क्योंकि इससे उनके उत्पाद सीधे और सस्ते दाम पर ग्राहकों तक पहुंचेंगे।