यूरोपीय संसद के चुनाव में धुर दक्षिणपंथी दलों की सफलता ने यूरोपीय संघ के कई देशों में सियासी घमासान मचा दिया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यूरोपीय पीपुल्स पार्टी (ईपीपी) की बढ़त के बाद देश की संसद को भंग कर मध्यावधि चुनावों की घोषणा कर दी है। इसी तरह जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर पार्टी (एएफपी) की सफलता ने जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज की गठबंधन सरकार को मुश्किल में डाल दिया है।
किसके हाथ लगी यूरोपीय संसद की सत्ता की चाबी?
यूरोपीय संसद के 720 सदस्यों को चुनने के लिए यूरोपीय संघ के 27 देशों के मतदाताओं ने चार दिवसीय चुनाव में हिस्सा लिया। रविवार को संपन्न हुए चुनाव के बाद जारी मतगणना सोमवार को भी जारी रही, लेकिन अब तक की मतगणना से स्पष्ट हो गया है कि यूरोपीय संसद की सत्ता की चाबी धुर दक्षिणपंथी दलों के हाथ में आ गई है।
जॉर्जिया मेलोनी ने यूरोपीय संसद में मारी बाजी
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की दक्षिणपंथी पार्टी की सीटें यूरोपीय संसद में दोगुनी हो गई हैं। वह अपने देश के साथ यूरोप की नेता के रूप में भी उभरी हैं। वहीं, जर्मनी में एएफपी ने पर्याप्त सफलता हासिल कर चांसलर ओलाफ की सोशल डेमोक्रेट की परेशानी बढ़ा दी है।
धुर दक्षिणपंथी दलों की धमक की आशंका में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर की पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेट ने पहले ही अपना रुख प्रवासन और जलवायु परिवर्तन की ओर कर लिया था। इसके चलते वह 720 सदस्यीय यूरोपीय संसद में सबसे बड़े समूह के रूप में उभरी हैं, लेकिन पूरे यूरोप में राष्ट्रवादी और लोकलुभावन पार्टियों के उभार से असेंबली के लिए अगले पांच वर्षों के लिए जलवायु परिवर्तन से लेकर कृषि नीति तक के मुद्दों पर कानून को मंजूरी देना कठिन हो जाएगा।
वहीं, पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क की मध्यमार्गी पार्टी ने यूरोपीय संसद चुनाव में सबसे अधिक वोट लेकर एक दशक में दक्षिणपंथी लोकलुभावन पार्टी पर अपनी पहली चुनावी जीत हासिल की। उधर, बुल्गारिया की मध्य दक्षिणपंथी पार्टी जीईआरबी राष्ट्रीय और यूरोपीय दोनों चुनावों में आगे है।
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