छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ जेनुइन छात्रों को देने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला किया है। योजना का लाभ पाने वाले छात्र की उपस्थिति उस सत्र में 75 फीसदी से कम है तो उसे दी गई राशि लौटानी होगी।बोफोर्स घोटाले ने उड़ाई कांग्रेस की उड़ाई नींद, सीबीआई करेगी जाँच
इसके लिए शिक्षण संस्थानों के रिकॉर्ड पर भी निगरानी रखी जाएगी। राज्य सरकार दो लाख रुपये तक सालाना आमदनी वाले परिवारों के विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ देती है।
अभी तक शुल्क भरपाई का लाभ वे छात्र भी पा जाते हैं जो एडमिशन तो लेते हैं, पर कभी कक्षाओं में नहीं जाते। देखने में आया है कि शिक्षण संस्थान भी फर्जी एडमिशन दिखाकर राशि हड़प लेते हैं।
आवेदन करने वालों के डाटा की जांच का काम दिसंबर-जनवरी में पूरा कर लिया जाता है, जबकि सत्र अप्रैल-मई में खत्म होता है। इसलिए पता नहीं चल पाता कि छात्रों ने 75 फीसदी क्लासेज अटेंड की या नहीं।
शिक्षण संस्थानों की सूचना की होगी रेंडम जांच
अब फैसला किया गया है कि सत्र के अंत में शिक्षण संस्थानों को यह प्रमाणित करना होगा कि जिन विद्यार्थियों को योजना का लाभ दिया गया है, उनकी उपस्थिति 75 फीसदी या उससे अधिक है।
उपस्थिति के मामले में शिक्षण संस्थानों की ओर से मुहैया कराई गई सूचना की भी रेंडम जांच होगी। अगर संस्थान की दी सूचना गलत मिली तो उन पर सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला दर्ज होगा। प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह ने बताया कि जेनुइन छात्रों को ही योजना का लाभ मिले, इसलिए यह नियम बनाया गया है।