रंगभरी एकादशी : पूर्व महंत के बेटे को पुलिस ने भेजा नोटिस

रंगभरी एकादशी से पहले शनिवार की देर रात कमिश्नरेट की पुलिस ने पूर्व महंत स्वर्गीय डॉ कुलपति तिवारी के बेटे वाचस्पति तिवारी को नोटिस भेजा है। पुलिस का कहना है कि बिना अनुमति अपने घर से शिव-पार्वती की चल प्रतिमा निकालकर विश्वनाथ मंदिर तक नहीं ले जा सकेंगे। ऐसा हुआ तो आयोजकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। महंत आवास के आसपास भीड़ जुटाने की अनुमति भी नहीं दी गई है।

दशाश्वमेध थानाध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया कि पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के निधन के बाद से व्यवस्था बदल गई। श्री काशी विश्वनाथ न्यास ने किसी बाहरी प्रतिमा को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी है। इसके बावजूद रंगभरी एकादशी के अवसर पर शिव-पार्वती की प्रतिमा को अपने घर से निकालकर जुलूस की शक्ल में श्री काशी विश्वनाथ धाम तक ले जाने का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

हजारों लोगों की भीड़ जुटाने की कोशिश की जा रही है। भीड़ के चलते यदि कोई प्रतिकूल परिस्थिति पैदा हुई अथवा हानि हुई तो इसकी क्षतिपूर्ति आयोजकों से की जाएगी। बिना अनुमति जुलूस अथवा शोभायात्रा निकालने पर विधिक कार्रवाई भी की जाएगी। नोटिस मिलने के बाद कार्यक्रम के संयोजक भानु मिश्रा ने आपत्ति जताई।

उन्होंने कहा कि परंपराएं विशेष होती हैं अथवा व्यक्ति। यह परंपरा पूर्व महंत पंडित कैलाशपति तिवारी के समय से ही चली आ रही है। मामले की जानकारी सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधियों को दी गई है। मामले में मंडलायुक्त और उच्चाधिकारियों से बात भी की जाएगी।

काशीवासियों के सम्मान के लिए लड़ेंगे और कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे : अजय राय
पूर्व महंत के बेटे को नोटिस मिलने के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने प्रशासन के रवैये पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि 300 साल पुरानी परंपरा रुकनी नहीं चाहिए। काशीवासी इस परंपरा के अभिन्न अंग हैं।

काशीवासियों के सम्मान के लिए लड़ेंगे और कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे।महंत परिवार को नोटिस भेजकर इस परंपरा को तोड़ने का प्रयास दुर्भाग्यपूर्ण है। यह बाबा विश्वनाथ और काशीवासियों का अपमान है। इस आयोजन में हम सब शामिल होंगे।

शर्मनाक और कायराना कृत्य है पालकी यात्रा को रोकना
सपा युवजन सभा के प्रदेश महासचिव और महामृत्युंजय मंदिर के महंत किशन दीक्षित ने कहा कि रंगभरी एकादशी पर पालकी यात्रा रोकना शर्मनाक है। सवाल किया कि क्या बनारस प्रशासन काशी की परंपराओं को नष्ट करने के लिए किसी विशेष एजेंडे के तहत काम कर रहा है? विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत के आवास से निकलने वाली पालकी यात्रा को रोकने के पीछे क्या मकसद है? इसका जवाब अफसरों को देना चाहिए।

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