बीते कुछ दशकों में रूस की शक्ति जिस तरह से कम हुई है अब वह उसको दोबारा पाने में लगा हुआ है। दुनिया में एक बार फिर से अपना वर्चस्व कायम करने के मकसद से रूस वोस्तोक -2018 का युद्धाभ्यास शुरू करने वाला है। इस युद्धाभ्यास की कई खासियत हैं। शीतयुद्ध के बाद किया जाने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास है, जो 11-17 सितंबर के बीच होगा। इसको लेकर यूरापीय देशों सेमत नाटो ने भी कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। यूरोपीय संघ ने इस बाबत यहां तक कहा है कि यह युद्धाभ्यास नाटो को लक्ष्य बनाकर किया जा रहा है। नाटो ने इसे पश्चिम लोकतंत्र के लिए खतरा माना है।
नाटो का ट्राइडेंट जक्श्न 2018
रूस की देखादेखी उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) भी इसी तरह का युद्धाभ्यास करेगा लेकिन वह इसके बाद अक्टूबर और नवंबर के बीच में शुरू होगा। इसके चलते नाटो के सदस्य देश अपनी ताकत का एहसास करवाएंगे। इस अभ्यास को ट्राइडेंट जक्श्न 2018 का नाम दिया गया है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि रूस के साथ दूसरे देश में अपने वर्चस्व को बरकरार रखने को लेकर काफी संजीदा हैं।
वास्तोक 2018 की खासियत
जहां तक रूस के वास्तोक 2018 की बात है तो आपको बता दें कि इसमें 1 हजार एयरक्राफ्ट के अलावा 80 से ज्यादा युद्धपोत, जंगी जहाज और ड्रोन हिस्सा लेंगे। इसके अलावा 36 हजार टैंक और दूसरे हाइटेक आर्मी व्हीकल भी इसका हिस्सा बनेंगे। हालांकि रूस इस तरह का अभ्यास पहली बार नहीं कर रहा है, लेकिन इतने बड़े स्तर पर इसको पहली बार अंजाम दिया जा रहा है।
रूस ने पिछले वर्ष किया था ‘जापाद’
आपको यहां पर ये भी बता दें कि पिछले साल रूस ने बेलारूस के साथ जापाद-2017 युद्धाभ्यास किया था। जापाद का मतलब ‘पश्चिम’ होता है। इस युद्धाभ्यास में करीब 12700 सैनिकों ने हिस्सा लिया था। इससे पहले 1981 में डेढ़ लाख सैनिकों के साथ रूस ने सबसे बड़ा युद्धाभ्यास किया था। वास्तोक 2018 में चीन और मंगोलिया के सैनिक भी हिस्सा लेने वाले हैं। इसमें करीब 3200 चीनी सैनिक हिस्सा लेंगे। यह युद्धाभ्यास यूराल पर्वत क्षेत्र में होना है जिसकी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं।
वास्तोक की तैयारियां लगभग पूरी
इस युद्धाभ्यास की तैयारियों के चलते ही रूस ने इंग्लिश चैनल से होते हुए बड़े पैमाने पर अपने युद्धपोतों, जंगी विमानों को यूराल पर्वत के तटीय इलाकों में तैनात किया है। इसके साथ रूस, चीन और मंगोलिया के सैनिक भी युद्धाभ्यास वाली जगह पर पहुंच चुके हैं। वहीं अक्टूबर और नवंबर के बीच में शुरू होने वाले नाटो के ट्राइडेंट जक्श्न 2018 में 30 देशों के करीब 40 हजार जवान शामिल होंगे। नाटो का भी यह सबसे बड़ा युद्धाभ्यास होगा। इसमें 130 से ज्यादा एयरक्राफ्ट और 70 से ज्यादा युद्धपोत शामिल होंगे।
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