लखनऊ के चिड़ियाघर में कोरोना की वजह से घटी दर्शकों की संख्या हर माह घाटे में जा रहा है जू प्रशासन

कोरोना संक्रमण काल में सबकुछ बदल गया। जीने का सलीका बदल गया तो रहने के ढंग में बदलाव हो गया। सामाजिक बदलाव के बीच वन्यजीवों की दिनचर्या भी बदल गई है। कोरोना संक्रमण के चलते 22 मार्च से नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान बंद कर दिया गया। नौ जून से दोबारा खुला, लेकिन दर्शकों का टोटा होने से चिड़ियाघर प्रशासन के आगे एक बड़ी चुनौती सामने खड़ी हो गई। वन्यजीवों को भोजन के साथ ही कर्मचारियों को वेतन के संकट की स्थिति पैदा हो गई। चिड़ियाघर प्रशासन ने सामाजिक संगठनों से वन्यजीवों को गोद लेने की अपील की थी जिसका असर अब दिखने लगा है।

लॉकडाउन में बढ़ी दर्शकों की संख्या

नौ जून को काेराेना संक्रमण काल में खुले चिड़ियाघर में 40 से 45 दर्शक प्रतिदिन आने शुरू हुए। ऑनलाइन टिकट के साथ आने की बाध्यता को कुछ कम करके सुरक्षा इंतजामों के साथ टिकट खिड़की खुली तो संख्या मेें पांच गुने की बढ़ोतरी हो गई। साप्ताहिक बंदी सोमवार को हटा दिया गया और सरकार की ओर से घाेषित रविवार के लॉकडाउन को चिड़ियाघर में लागू कर दिया गया। सोमवार से शनिवार तक चिड़ियाघर दर्शकों के लिए खुला रहेगा। हालांकि 10साल से नीचे के बच्चों और 60 साल के ऊपर के बुजुर्गों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रहेगा।

सामान्य दिनों में दर्शकों की संख्या रहती है छह हजार

लॉकडाउन में भले ही संख्या में बढ़ोतरी हो रही हो, लेकिन सामान्य दिनों के मुकाबले यह संख्या न के बराबर है। सामान्य दिनों मेें हर दिन पांच से छह हजार के करीब होती है जबकि वर्तमान में यह संख्या 150 से 200 प्रतिदिन है।

सरकार ने की तीन करोड़ की मदद

दर्शकाें का इंतजार कर रहे चिड़ियाघर प्रशासन के पास अब बजट की कमी होने लगी थी। फरवरी में जो दर्शक आए टिकट बिके, उससे सैलरी सहित अन्य खर्च निकाले जा रहे थे। हर महीने 200 कर्मचारियों-अधिकारियों के वेतन पर ही 60 लाख रुपये से अधिक का खर्च आता है। वन्यजीवों के खान पान को मिलाकर एक महीने में एक से सवा करोड़ रुपये का खर्च आता है। प्राणि उद्यान निदेशक आरके सिंह ने बताया कि लाॅकडाउन में एचसीएल व एचएएल समेत कई वन्यजीव प्रेमियों ने इस लॉकडाउन 72 लाख रुपये की मदद की। तीन करोड़ रुपये सरकार ने देकर संक्रमण काल से चिड़ियाघर को उबारने का काम किया है।

तीन लाख दर्शकों ने घर बैठे देखा चिड़ियाघर

लॉकडाउन में भले ही चिड़ियाघर में दर्शकों की आमद कम रही हो, लेकिन तीन लाख दर्शकों ने ऑनलाइन चिड़ियाघर देखकर चिड़ियाघर के प्रति अपनी दिलचस्पी को बता दिया है। बंदर की उछलकूद और शेर की दहाड़ के साथ ही सांपघर, पक्षी घर, तालाब में सारस की अटखेलियां, भोजन करता हुआ भेड़िया, कमरे से बाहर आराम करती जंगली बिल्ली, उछलकूद करते भालू के साथ ही पुराने बाल रेल दर्शकों की खास पसंद रहे। पिछले चार महीने में चिड़ियाघर के सोशल मीडिया के प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, वेबसाइट और यूट्यूब पर तीन लाख दर्शक चिड़ियाघर देख चुके हैं। नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान’ नाम से यूट्यूब चैनल के साथ ही चिड़ियाघर की वेबसाइट लखनऊ जू डाट काॅम पर वन्य जीवों को देखा जा सकता है। यूट्यूब लिंक https://www.youtube.com/channel/UCCkznhBtYVtxXDQo2pdBcQA के जरिए यह यूट्यूब चैनल वन्यजीवों को देख सकते हैं।

चिड़ियाघर एक नजर

  • कुल क्षेत्रफल-29 एकड़
  • वन्यजीवों की संख्या-1000
  • कर्मचारी वेतन समेत कुल खर्च-एक करोड़ प्रतिमाह
  • वन्यजीवों के खाने का खर्च-33,27406 रुपये प्रतिमाह
  • अकेले टाइगर के भोजन का खर्च 55000 रुपये प्रतिमाह
  • सफेद टाइगर पर खर्च-55000 रुपये प्रतिमाह
  • बब्बर शेर पर खर्च-47000 रुपये प्रतिमाह
  • तेंदुआ पर खर्च-14000 रुपये प्रतिमाह
  • सामान्य दिनों में हर दिन दर्शकों की संख्या-5000 से 6000
  • लॉकडाउन में हर दिन दर्शकों की संख्या-150 से 200
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