राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू यादव और सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ अन्य लोगों के ठिकानों पर छापेमारी को लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी. सीबीआई ने कहा कि प्राथमिक जानकारी में टेंडर अलॉट करने की प्रक्रिया में गड़बड़ियां पाई गई हैं. इसके बाद ही शुक्रवार को जांच एजेंसी ने छापेमारी की. इस मामले में शुक्रवार को दिल्ली, गुरुगाम सहित 12 जगहों पर छापेमारी की गई.
बता दें कि 2006 के मामले में सीबीआई ने लालू के निवास समेत देश भर के 12 ठिकानों पर छापे डाले. इनमें वो ठिकाने भी शामिल हैं, जिन्हें फायदा पहुंचाने का आरोप लगा है. सीबीआई की एफआईआर में लालू के बेटे और बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का भी नाम है.
सीबीआई ने बताया कि छापेमारी की कार्रवाई सुबह 7.30 बजे शुरू हुई और अलग-अलग स्थानों पर अब तक जारी है. राबड़ी देवी के आवास पर सीबीआई की छापेमारी मामले को ध्यान में रखते हुए पुलिस मुख्यालय ने अलर्ट जारी कर सभी जिलों के एसपी को अलर्ट किया है. पुलिस ने किसी भी तरह के उपद्रव को तत्काल कंट्रोल करने का आदेश दिया है.
राकेश अस्थाना ने कहा कि केस में लालू यादव, तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और आरजेडी नेता प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता का भी नाम है. इसके साथ तत्कालीन आईआरसीटीसी के एमडी पीके गोयल और सुजाता ग्रुप का भी नाम है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल रांची और पुरी के चाणक्य बीएनआर होटल जोकि रेलवे के हेरिटेज होटल थे. लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए इन होटलों को अपने करीबियों को लीज पर बेच डाला था. ये दोनों होटल अंग्रेजों के जमाने के थे इसीलिए इसका ऐतिहासिक महत्व था पर अब नहीं रहा क्योंकि इन होटल्स को पूरा रेनोवेटेड कर दिया गया है.
प्रसाद एवं उनके परिवार के खिलाफ एक हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति का मामला रांची और पुरी से जुड़ा हुआ है. लालू प्रसाद जब रेल मंत्री थे तब रेल मंत्रालय ने रांची एवं पुरी के ऐतिहासिक होटल बीएनआर को लीज पर देने का निर्णय लिया.
इस लीज के लिए रांची के कुछ होटल व्यवसाइयों के अलावा लालू प्रसाद के निकट के सहयोगी एवं झारखंड से राज्यसभा के सांसद प्रेमचंद गुप्ता की कंपनी दोनों होटलों को लेने में सफल रहे और रांची के बीएनआर होटल को पटना के प्रसिद्ध होटल चाणक्य के संचालक हर्ष कोचर को 60 साल के लिए लीज पर मिल गया.
पहले तो लीज की अवधि 30 वर्ष रखी गयी, परन्तु बाद में इसकी अवधि बढ़ाकर साठ साल कर दी गई. आरोप है कि इन दोनों होटलों को लीज पर देने की जितनी कीमत राज्य सरकार को मिलनी चाहिए वह नहीं मिली. वैसे इस मामले में लालू प्रसाद का कहना है कि रेलवे ने नियम के तहत इन होटलों को लीज पर दिया था और इससे उनका कोई लेना देना नहीं है.