पिछले साल, सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा ने अपने ही लीगल विंग, अभियोजन निदेशालय के फैसले को रद्द करते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने के लिए दबाव डाला था, जिसमें दावा किया गया कि 2006 में बतौर रेल मंत्री लालू प्रसाद ने पटना में जमीन के लिए रेलवे के दो होटलों का ठेका एक निजी कंपनी को सौंप दिया. लेकिन अभियोजन निदेशालय ने जब गैर-कानूनी तरीके से किए गए होटल के ट्रांसफर में शामिल कथित साजिशकर्ताओं की लिस्ट तैयार की तो उन्होंने आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दिए आईआरसीटीसी के दो में से एक अधिकारी का नाम उसमें शामिल नहीं किया.
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक, जिस अधिकारी का नाम उस लिस्ट में शामिल नहीं था वो उस दौरान आईआरसीटीसी निदेशक (पर्यटन), राकेश सक्सेना थे और इसके पीछे कोई भी वजह नहीं बताई गई कि आखिर क्यों उनका नाम लिस्ट में नहीं है. हालांकि कई सीबीआई अधिकारियों ने इस चूक की ओर ध्यान दिलाया, लिस्ट में शामिल आरोपियों के ऑफिस और घर की तलाशी के बाद राकेश सक्सेना के नाम के बगैर 7 जुलाई 2017 को प्राथमिकी दर्ज की गई.
आईआरसीटीसी के रांची और पुरी में स्थित दो होटलों का ठेका 2006 में एक निजी कंपनी को प्रदान करने में कथित तौर पर अनियमितता बरती जाने को लेकर सीबीआई ने पांच जुलाई 2017 को लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था. लालू उस समय रेलमंत्री थे. सीबीआई के मुताबिक, विजय और विनय कोचर के स्वामित्व वाले सुजाता होटल्स को दिए गए ठेके के बदले कथित तौर पर लालू और उनके परिवार को बिहार के प्रमुख स्थान पर भूखंड दिया गया था. इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता और आईआरसीटीसी के प्रबंध निदेशक पी. के. गोयल भी आरोपी हैं.
आईआरसीटीसी मामले में लालू का 3 एकड़ का भूखंड जब्त
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके परिवार पटना में स्थित तीन एकड़ का एक भूखंड पिछले साल 8 दिसंबर को जब्त कर लिया. लालू का यह भूखंड उनके व उनके परिवार के खिलाफ वर्ष 2006 के आईआरसीटीसी होटल के ठेके में धन शोधन के मामले की जांच के संबंध में जब्त किया गया था. ईडी की यह कार्रवाई राष्ट्रीय जनता पार्टी (राजद) प्रमुख लालू की पत्नी राबड़ी देवी से पटना में की गई पूछताछ के छह दिन बाद की गई थी. ईडी के एक अधिकारी ने बताया था कि एजेंसी ने मामले में तीन एकड़ का एक भूखंड जब्त किया, जिसपर एक मॉल बनाया गया है.
ईडी कर रही है जांच
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से लालू, तेजस्वी और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत वित्तीय अनियमितता के मामले में जांच चल रही है. ईडी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से एफआईआर दर्ज करने के बाद 27 जुलाई 2017 को पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया था और नकली कंपनियों के माध्यम से कथित तौर पर धन का हस्तांतरण करने को लेकर जांच की जा रही है.
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