पिछले एक हफ्ते में ही 72 नए मामलों का दर्ज होना बताता है कि संक्रमण लगभग हर जोन में फैल चुका है। यह स्थिति इसलिए भी गंभीर है क्योंकि वायरल बुखार और डेंगू के शुरुआती लक्षण बहुत मिलते-जुलते रहते हैं, जिससे अक्सर लोग भ्रमित हो जाते हैं और सही इलाज में देरी हो जाती है।
इसलिए डेंगू की पहचान करना बहुत जरूरी है क्योंकि अगर समय रहते इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो यह गंभीर रूप (डेंगू हेमरेजिक फीवर) ले सकता है। डेंगू बुखार एक मच्छर जनित बीमारी है, इसलिए अपने आस पास साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखें। अब आइए इस लेख में जानते हैं कि वायरल बुखार और डेंगू बुखार के बीच कैसे अंतर समझ सकते हैं?
बुखार में अंतर
वायरल बुखार में बुखार धीरे-धीरे बढ़ता है, जबकि डेंगू में बुखार अचानक और बहुत तेज हो जाता है। अधिकतर मामलों में डेंगू में 104 डिग्री तक बुखार हो सकता है। डेंगू का सबसे बड़ा अंतर यह है कि इस बूखार में रोगी को मांसपेशियों, जोड़ों और हड्डियों में असहनीय दर्द होता है, जिसे ‘ब्रेकबोन फीवर’ कहते हैं। वायरल बुखार में शरीर में हल्का दर्द होता है, जबकि डेंगू का दर्द बहुत तीव्र और लंबे समय तक बना रहता है।
डेंगू के शुरुआती चेतावनी संकेत
डेंगू की पहचान के लिए कुछ खास लक्षणों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। डेंगू बुखार में गंभीर सिरदर्द, आंखों के पीछे तेज दर्द, और त्वचा पर लाल चकत्ते आने लगते हैं।बुखार उतरने के बाद अगर लगातार उल्टी, पेट में तेज दर्द या तेज थकान महसूस हो, तो यह डेंगू की शुरुआत हो सकती है। इन लक्षओं को पहचानकर आप वायरल बुखार और डेंगू में अंतर कर सकते हैं।
वायरल बुखार में लक्षण और अवधि
सामान्य वायरल बुखार अक्सर 3 से 5 दिनों में खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है। इसमें छींक आना, नाक बहना, और गले में खराश होना जैसे श्वसन संबंधी लक्षण अधिक प्रमुख होते हैं।
जबकि डेंगू में श्वसन संबंधी लक्षण कम होते हैं, और सबसे बड़ी चिंता की बात होती है प्लेटलेट्स के स्तर का तेजी से गिरना, जो आपके सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक होता है, इसलिए डेंगू के लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से मिलकर डेंगू और प्लेटलेट्स की संख्या की जांच करानी चाहिए।
क्या करें?
डेंगू से बचाव के लिए सबसे पहले मच्छरों के प्रजनन को रोकना जरूरी है और इसके अपने आस-पास कहीं भी पानी जमा न होने दें, साथ ही साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। बाहर निकलते समय पूरी बांह के कपड़े पहनें।
अगर आपको ऊपर बताए गए डेंगू के कोई भी तीव्र लक्षण दिखाई दें, तो घर पर इलाज करने के बजाय तुरंत डॉक्टर से मिलें और प्लेटलेट काउंट की जांच कराएं। इसके अलावा कोई भी दवा खुद से न लें और डॉक्टर की निगरानी में ही तरल पदार्थ और दवाओं का सेवन करें।
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