नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर हर रोज कई मैसेज, फोटो और वीडियो वायरल होते हैं. इन वायरल मैसेज फोटो और वीडिो के साथ कई चौंकाने वाले दावे भी किए जाते हैं. ऐसा ही वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे है. इसके साथ भी एक चौंकाने वाला दावा किया जा रहा है.क्या है दिख रहा है वीडियो में ?
सोशल मीडिया पर वीडियो के जरिए दावा है कि चीन में तैयार हुआ प्लास्टिक का चावल भारत में सप्लाई किया जा रहा है. इस वीडियो में दिखाया गया है कि हाथ में चावल लिया और उसकी गेंद बनाई फिर उसे पटका तो गेंद उछलती है. इस वीडियो के साथ दावा है कि यह गेंद चीन में बने प्लास्टिक के चावलों के कारण उछलती है.
क्या है उछलने वाली गेंद का रहस्य?
उछलने वाली गेंद का रहस्य जानने के लिए एबीपी न्यूज़ ने कृषि अनुसंधान केंद्र यानि पूसा में जेनेटिक डिपार्टमेंट के शोधकर्ता देश में इस वक्त देश के सबसे बड़े और जाने माने चावल वैज्ञानिक डॉक्टर अशोक कुमार सिंह से संपर्क किया. डॉक्टर अशोक कुमार सिंह ने बताया कि प्लास्टिक का पानी सोखना संभव नहीं है. जबकि चावल पकाते वक्त पानी सोख लेता है. प्लास्टिक से ऐसा नहीं हो सकता.
चावल में कार्बोहाइड्रेट होता है. कार्बोहाइड्रेट दो तरह के होते हैं- amylose और amylopectin. इन दोनों की मात्रा के आधार पर चावलों का गुण निर्धारित होता है. amylose की मात्रा 10 फीसदी से कम हो तो चावल चिपकता है. amylose मात्रा 22 फीसदी हो तो चावल नहीं चिपकता.
यानि चावलों में carbohydrate amylose यानि स्टार्च की मात्रा कम हो तो पकाने के बाद चावल के दाने आपस में चिपकेंगे. इन पके हुए चावलों की बॉल बनाए जाने पर वो हवा में उछलेंगी नहीं. लेकिन चावल में amylose यानि स्टार्च की मात्रा 22 फीसदी या उससे ज्यादा हो तो बॉल बनाने पर 4 या 5 बार उसमें उछाल आएगा. इस तरह का चावल पकाने पर दाने आपस में चिपकते भी नहीं. चावलों में उछाल आने का असली या नकली चावल से कोई लेना-देना नहीं है.
ABP न्यूज की पडताल में सामने आया
- चावल की गेंद का उछलना उसका प्राकृतिक गुण है
- चावल की गेंद उछलेगी या नहीं ये बात उसमें पाए जाने वाले स्टार्च की मात्रा पर निर्भर करता है
- ज्यादा स्टार्च है तो चावल की गेंद बनेगी भी और उछलेगी भी
- चावल में स्टार्च कम है तो गेंद भी मुश्किल से बनेगी और उछलेगी तो बिल्कुल नहीं.
जानान जरूरी
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष केके अग्रवाल के मुताबिक प्लास्टिक से बने चावल को इंसान का शरीर पचा नहीं सकता। गाय खाती है प्लास्टिक तो मर जाती है, इंसान के लिए प्लास्टिक के चावल को पचाना मुमकिम नहीं है.
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल पैदा करने वाला देश है. चीन चावल पैदा तो करता है लेकिन विश्व का सिर्फ 1.9 फीसदी चावल एक्सपोर्ट यानि बाहर भेजता है और भारत तो चीन से ना के बराबर चावल खरीदता है.