उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में मिली करारी शिकस्त के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने सबसे बड़ा सवाल उनके सियासी भविष्य को लेकर उठ खड़ा हुआ है.
लिहाजा पार्टी सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव बड़ी भूमिका बारे में सोच सकते हैं. वह उत्तर प्रदेश में 2019 के लोक सभा चुनावों में पार्टी की स्थिति को मजबूत करने की भी हो सकती है या फिर राज्य सभा सासद के रूप में दिल्ली में कोई बड़ी भूमिका ले सकते हैं.
हालांकि यह सब कुछ 25 मार्च को होने वाली समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद ही तय हो पाएगा. पार्टी सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सभी संभावनाओं पर चर्चा होगी. इस बैठक में अखिलेश यादव ही नहीं बल्कि पार्टी के भविष्य को भी लेकर मंथन किया जाएगा.
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सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में एक बार फिर समाजवादी पार्टी का कलह सामने आ सकता है. समाजवादी पार्टी में एक धड़ा ऐसा भी है जो अखिलेश यादव को चुनाव में मिली हार के लिए जिम्मेदार मान रहा है. ऐसे में तथाकथित अखिलेश विरोधी लॉबी मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की मांग भी उठा सकता है.
25 मार्च को होनी वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी में संभावित फैसले के बारे में नाम न छापने की स्थिति में एक पदाधिकारी ने बताया कि अगर अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ने की बात उठती है तो अखिलेश को पार्टी में और चुनावों में अपनी भूमिका को लेकर फिर से आंकलन करना होगा.
दूसरी तरफ पॉलिटिकल पंडितों का कहना अखिलेश यादव के लिए अभी सारे रस्ते बंद नहीं हुए हैं. अखिलेश के करीबी सूत्रों के मुताबिक उनके पास कई संभावनाएं हैं. अगर अखिलेश संगठन में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं तो उन्हें विधानसभा में रहना चाहिए. इसके लिए उन्हें उपचुनाव का इन्तजार करना चाहिए या फिर कोई सपा विधायक इस्तीफा देकर अखिलेश के लिए सीट खाली कर दे और वे चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंच जाएं.
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हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि सपा प्रमुख राज्य सभा भी जाने का फैसला कर सकते हैं. लेकिन इसकी सम्भावना कम ही दिखती है क्योंकि राज्य सभा जाने के लिए उन्हें लंबा इन्तजार करना होगा. जो कि अप्रैल 2018 से पहले नहीं हो सकता क्योंकि तब 6 सपा सांसदों का कार्यकाल ख़त्म हो रहा होगा, जिनमे जया बच्चन भी शामिल हैं. इसके अलावा इस बार 47 विधायक ही हैं लिहाजा कोई एक ही राज्य सभा जा सकता है.