शिवसेना ने उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सलाह दी है कि वह अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने से ज्यादा सुशासन पर ध्यान केंद्रित करें।
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शिवसेना ने अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य का प्रशासन चलाना किसी मठ को चलाने जितना आसान नहीं है। आपको बता दें कि शिवसेना केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकारों में साझेदार है, लेकिन फिर भी अक्सर भाजपा पर हमले बोलती है।
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उत्तर प्रदेश में दो उप-मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति के मुद्दे पर भी अपनी भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए शिवसेना ने कहा कि इस कदम का मकसद आदित्यनाथ को ‘‘अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने के लिए स्वतंत्र रखना है।’’
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा, ‘उत्तर प्रदेश में दो उप-मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति की गई है, जबकि महाराष्ट्र के लिए भाजपा ने कहा था कि उप-मुख्यमंत्री की नियुक्ति उनकी नीति के विपरीत है। जम्मू-कश्मीर में उप-मुख्यमंत्री का पद पाने के लिए वे पीडीपी की महबूबा मुफ्ती के साथ मिल गए।’ गौरतलब है कि 2014 में भाजपा ने महाराष्ट्र में शिवसेना को उप-मुख्यमंत्री का पद देने से इनकार कर दिया था।
संपादकीय में आगे लिखा गया, ‘उत्तर प्रदेश में दो उप-मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति करके योगी आदित्यनाथ को अपने धार्मिक कर्तव्यों के पालन के लिए स्वतंत्र कर दिया गया है।’ शिवसेना ने कहा, ‘योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने से राम मंदिर निर्माण के काम में तेजी आएगी और हिंदुत्ववादी ताकतों में नई उर्जा का संचार होगा। बहरहाल, नौकरियां पैदा करना भी अहम है और योगी को इसके लिए काम करना होगा।’
गौरतलब है कि बीते रविवार को योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा को राज्य का उप-मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया है।