भारत ने आतंकवाद की समस्या की ओर एक बार फिर विश्व बिरादरी का ध्यान खींचा है। संयुक्त राष्ट्र में कहा कि भारत दशकों से सीमापार आतंकवाद से प्रताडि़त हो रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समर्थन, सूचनाओं की साझेदारी और प्रत्यर्पण के अभाव में आतंकी घटनाओं के आरोपी अन्य देशों में छिपे हुए हैं। जाहिर है भारत के निशाने पर आतंकियों की पनाहगाह बना पाकिस्तान था। सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने राष्ट्रों से साथ मिलकर आतंकवाद के दैत्य से लड़ने और उसे परास्त करने का आह्वान किया।
आतंकवाद निरोधी एजेंसियों के प्रमुखों के संयुक्त राष्ट्र में हुए सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्रालय आंतरिक सुरक्षा मामलों की विशेष सचिव रीना मित्रा ने चेतावनी दी कि इस माहौल में कोई भी देश आतंकी वारदातों से खुद को सुरक्षित नहीं रख सकता।
उन्होंने कहा कि आतंकी संगठन सीमाओं से पार जाकर मनमाने तरीके से अपनी कार्रवाई कर रहे हैं। वे अपना नेटवर्क बढ़ा रहे हैं, तमाम तरीकों से धन एकत्रित कर रहे हैं, घृणा की मानसिकता फैला रहे हैं, विदेशों में अपने सदस्यों की भर्ती कर रहे हैं, उन्हें हथियार और संचार के नए उपकरण व तरीके उपलब्ध करा रहे हैं।
आतंकी संगठन वारदात के लिए अपनी पसंद से देश और उनमें लक्ष्यों को चुन रहे हैं। इस तरह वे तमाम निर्दोष लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि दुनिया के देशों ने उनके खिलाफ हाथ नहीं मिलाए हैं, सहयोग स्थापित नहीं किया है। कई स्थानों पर उनके पड़ोसी आतंकियों का समर्थन कर रहे हैं और उन्हें सुरक्षित स्थान मुहैया करा रहे हैं। ऐसे देश अपने राजनीतिक और रणनीतिक स्वार्थो के लिए आतंकी संगठनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत इन्हीं कारणों से आतंकवाद झेल रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में पहली बार आतंकवाद से निपटने के लिए उच्चस्तरीय सम्मेलन आयोजित हुआ है। भारत इसके लिए लंबे समय से प्रयास कर रहा था।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features