बिहार के सरकारी अस्पतालों में तैनात 2400 आयुष डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी है। सोमवार से आयुष डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवा ठप हो गई हैं जिसके ग्रामीण इलाके खासे प्रभावित हुए हैं और चिकित्सा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
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हड़ताली आयुषकर्मियों की समान काम के लिए बराबर वेतन और नौकरी को नियमित करने की मांग है। इससे पहले आयुष चिकित्सकों ने 15 नवंबर को एक दिन का भूख हड़ताल कर सरकार को अपनी मांगों के बारे में बता दिया था। बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ के अध्यक्ष अफरोज अहमद ने बताया कि, ‘प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग कांट्रेक्ट पर काम कर रहे आयुष डॉक्टरों के साथ न्याय नहीं कर रही है। यही वजह है कि अभी तक आयुष डॉक्टरों की नियमित बहाली नहीं हो रही है। कांट्रेक्ट पर काम कर रहे आयुष डॉक्टरों का वेतनमान भी काफी कम है।’
बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ के सचिव डॉ ललन कुमार ने हड़ताली डॉक्टरों की मांग के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि, ‘संघ ने मांग की है कि संविदा डॉक्टरों की नौकरी को नियमित किया जाए। मानदेय की विसंगतियों को दूर किया जाए। सरकार आयुष डॉक्टरों का 40 लाख का स्वास्थ्य बीमा कराए। साथ ही दूर-दराज के इलाकों में तैनात डॉक्टरों को अतिरिक्त पैसे दिए जाए। आयुष डॉक्टरों की तैनाती उनके गृह जिले में हो।’
डॉ. ललन ने बताया कि हड़ताल पर जाने से पहले आयुष चिकित्सकों ने 15 नवंबर को एक दिवसीय भूख हड़ताल कर सरकार को अपनी मांगों की जानकारी दी थी, लेकिन बावजूद इसके हमारी मांग को नजरअंदाज किया गया और हमारी अवहेलना की गई।