गोरक्षा के नाम पर देश के कई हिस्सों में हिंसा हो रही है लेकिन गाय की हालत तो खुद सरकारी संरक्षण में ही खराब होती जा रही है। यूपी के कानपुर शहर में दो दिन के अंदर 7 गायों की मौत का मामला सामने आते ही शासन-प्रसासन की नींद उड़ चुकी है।
सरकारी संरक्षण में गायों के मरने का सिलसिला जारी है। 24 घंटे पहले मरीं गायों का पांच डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया, जिसमें मौत की वजह अत्यधिक पॉलीथिन खाना बताया गया। उधर, कांजी हाउस के स्टॉक में सड़ा भूसा, साढ़े तीन बोरी चोकर भी मिला। गोशाला में अव्यवस्थाओं के चलते दो कर्मचारियों को हटाकर दूसरे कर्मचारियों को तैनात किया है। कानपुर डिफेंस कॉलोनी, जाजमऊ स्थित नगर निगम कांजी हाउस में 15 जुलाई को छह गायों की मौत से गुस्साए लोगों ने हंगामा किया था।
आरोप था कि गायों को भोजन के नाम पर सूखा भूसा दिया जाता है, वह भी नाममात्र का। इसी वजह से मौत होने के आरोप लगाया गया। नियमानुसार एक गाय को एक दिन में पांच किलो भूसा और एक किलो चोकर दिया जाना चाहिए। बवाल के बाद जिला पशु चिकित्सा अधिकारी (सीवीओ) डॉ. एसपी वर्मा ने इन गायों के शवों के पोस्टमार्टम के लिए पांच डॉक्टरों का पैनल बनाया।
सीवीओ ने बताया कि चुन्नीगंज पशु चिकित्सालय के डॉ. आरके सिंह के नेतृत्व में बने पैनल में शामिल डॉ. गोविंद, डॉ. इंद्र कुमार, डॉ. शिवमोहन, डॉ. सुबोध कुमार ने विजय नगर पशु चिकित्सालय में तीनों गायों का पोस्टमार्टम किया। तीनों गाय के पेट से पांच से सात-सात किलो पॉलीथिन निकला। पॉलीथिन की वजह से ही तीनों गायों की मौत हुई थी।
उधर, नगर निगम के पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एके सिंह ने गायों को कम भूसा देने और चोकर न देने से इनकार किया। कहां गए तीन गायों के शव डॉक्टरों की टीम ने सिर्फ तीन गायों का पोस्टमार्टम किया जबकि छह गायों की मौत हुई थी। इस बात को लेकर चर्चा होती रही कि आखिर तीन अन्य गायों के शव कहां गए। उधर, सरकारी अफसर तीन गायों की मौत की बात करते रहे।