देहरादून। राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों से पांच सौ मीटर के दायरे में शराब के ठेके बंद करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब उत्तराखंड में शराब की दुकानों को बंद कराने से आबकारी विभाग को राजस्व के मद में भारी नुकसान हो रहा है।
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बीते दिनों त्रिवेंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य मंत्रिमंडल की शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में राज्य के 64 राजकीय मार्गों के उस हिस्से को जिला मार्ग घोषित कर दिए थे लेकिन अब दुकानों का राजस्व बचाने के लिए राज्य राजमार्गों को डीनोटिफाई करने का जो फैसला लिया गया है, उसका भी अधिक फायदा होता नहीं दिख रहा है।
शराब के ठेकों की अगले महीने से बढ़ जाएगी लाइसेंस फीस
ऐसे में जो शराब की दुकानें चल रही हैं उनकी लाइसेंस फीस बढ़ाई जा सकती है। ऐसी स्थिति में इसका असर शराब की कीमतों पर पड़ना साधारण बात है। खबर है कि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए जो आबकारी नीति तैयार की जा रही है उसमें राजस्व वृद्धि पर जोर दिया गया है, जिसके बाद अगले महीने यानी मई से उत्तराखंड में शराब महंगी हो सकती है।
बता दें, इस बार अप्रैल महीने के दौरान शराब की दुकानों का लाइसेंस पुरानी आबकारी नीति के मुताबिक ही बढ़ाया गया है लेकिन नई आबकारी नीति में शराब की दुकानों का आवंटन एक मई से किया जाएगा। नई आबकारी नीति बनाने को लेकर अधिकारियों की बैठक शुरू कर दी है।
मिली जानकारी के अनुसार इस वित्त वर्ष के दौरान विभाग के राजस्व के लक्ष्य में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। विभाग के सामने संकट यह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जो दुकानें बंद हुई हैं, उसमें अधिकांश शिफ्ट नहीं हो पाई हैं। बता दें, राज्य की 526 दुकानों में से 320 का ही राजस्व विभाग के पास जमा हुआ है।
इन 320 दुकानों में से 170 दुकानें ही चल रही हैं। ऐसे में राजस्व का लक्ष्य बढ़ाने की स्थिति में विभाग दुकानों की लाइसेंस फीस में वृद्धि कर सकता है। लाइसेंस फीस में वृद्धि किए जाने की स्थिति में ठेकेदार कीमतों में वृद्धि किए जाने की मांग करेंगे। इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार फैसला करेगी। इस समय विभाग का पूरा जोर दुकानों की अवस्थापना पर है।
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