सौरभ शर्मा, नोएडा। पिछले कर्इ सालों से यूपी में हम सपा और बसपा को जातिवाद के आधार पर ट्रांसफर, अच्छी पोस्टिंग और र्इमानदार अधिकारियों को वेटिंग में डाल देने की बात कहते और सुनते आ रहे थे। लेकिन योगी सरकार में भी हालत ज्यादा कुछ नहीं बदला है। आर्इएएस हो या आर्इपीएस या फिर पीसीएस सभी ऑफिसर रैंक के अधिकारियों की पोस्टिंग जातिगत आधार पर की गर्इ है। लेकिन ऐसा हम नहीं आंकड़े बयां कर रहे हैं।यह भी पढ़े:> अभी-अभी: आरएसएस ने दी सीएम आदित्यनाथ को कड़ी चेतावनी, जिसके बाद योगी…
ताज्जुब की बात तो ये है विधानसभा चुनाव में भाजपा को भरपूर समर्थन देने वाली कुर्मी, कोयरी, तेली, मौर्या, लोध, निषाद, राजभर, कुम्हार जैसी पिछड़ी जातियों से ताल्लुक रखने वाले अधिकारियों में गहरी निराशा है। दलितों और पिछड़े वर्ग के अधिकारियों को वो सम्मान नहीं मिला जो मिलना चाहिए था। जबकि प्रदेश में पिछड़ें दलितों ने भाजपा को जिताने में अहम भूमिका निभार्इ थी।
पिछड़ों को नहीं मिला सम्मान
प्रदेश में डिप्टी सीएम केशव मौर्या की जाति का एक भी अधिकारी डीएम या एसपी नहीं है। इसी तरह सचिवालय में एक अधिकारी के रूप में सिर्फ सुशीत कुमार मौर्या ही हैं जो यूपीपीएससी ब्रांच में स्पेशल सेक्रेटरी हैं। मौर्या की तरह अन्य पिछड़ी जातियां भी लगभग नदारद हैं। गौरतलब है कि अखिलेश सरकार के दौरान यादव अधिकारियों की महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती की काफी चर्चा होती थी। अखिलेश और मायावती सरकार पर जातिवादी होने के आरोप लगते थे। सपा में यादवों और बसपा में पिछड़ों, दलितों को अहम पद देने की बात होती थी। अब यूपी में मलाईदार पदों पर पोस्टिंग को लेकर ब्राह्मण और ठाकुर अधिकारियों में होड़ मची है। इस बात पर यूपी ही नहीं बल्कि देश और दुनिया के राजनीतिक आलोचक मौन हैं।
भाजपा की जीत में इन वोटों की अहम भूमिका
85 सुरक्षित सीटों पर 2012 विधानसभा में सपा को 32 फीसदी वोट, बसपा को 27 प्रतिशत वोट, और भाजपा को 14 फीसदी वोट मिले थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा को 21 फीसदी, बसपा को 23 फीसदी और भाजपा को 41 फीसदी वोट मिले। 2017 के नतीजों में सुरक्षित सीटों पर भाजपा को 40 प्रतिशत वोट मिले हैं। वहीं सपा को 19 फीसदी जबकि बसपा को 24 फीसदी वोट मिले हैं। 2014 के बाद 2017 के चुनाव ने जहां जाटों की अपनी पहचान की राजनीति को खत्म कर दिया है,वहीं दलित और मुसलमान वोट के किसी को चुनाव जिता देने के मिथक ने भी दम तोड़ा है।आपको बता दें कि 85 सुरक्षित सीटों में से पार्टी के खाते में 73 सीटें गर्इ हैं।
स्वर्ण जातियों को मिले मलार्इदार पद
नाम——————————————–पद का नाम
सुलखान सिंह———————————–यूपी डीजीपी
इंद्र विक्रम सिंह——————————–डीएम शामली
नवनीत सिंह————————————–डीएम अमरोहा
नागेन्द्र प्रताप सिंह——————————डीएम सहारनपुर
बृजेश नरायन सिंह——————————डीएम गौतमबुद्ध नगर
राकेश सिंह————————————–डीएम मुरादाबाद
घनश्याम सिंह————————————एडीएम नोएडा
हरी नरायन सिंह———————————-एसएसपी गाजियाबाद
संतोष कुमार मिश्रा———————-एसपी, अमरोहा
मनोज तिवारी—————————एसएसपी, मुरादाबाद
हेमंत कुटियाल————————–एसपी, हापुड़
सुभाष चंद्र दुबे————————-एसएसपी, सहारनपुर
अलोक कुमार सिंह——————————कमिश्नर चित्रकूट
राजीव सिंह रौतेला——————————डीएम गोरखपुर!
राकेश सिंह ———————-योगी सरकार का सामने आया कढ़वा सच, जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान
—————डीएम कानपुर देहात!
अमित किशोर सिंह——————————-डीएम एटा!
नरेंद्र कुमार सिंह——————————-डीएम शाहजहाँपुर
अरविंद कुमार सिंह——————————डीएम बस्ती
शरद सिंह—————————————डीएम प्रतापगढ़
सुरेन्द्र सिंह————————————-डीएम कानपुर नगर
गौरव सिंह—————————————-एसपी रयबरेली
मृगेंद्र सिंह—————————————एसपी सीतापुर
कवीन्द्र प्रताप सिंह——————————एसपी फ़तेहपुर
दिनेश प्रताप सिंह——————————–एसपी कानपुर
राम प्रताप सिंह———————————–एसपी सोनभद्र
अभिषेक सिंह————————————-एसपी बलरामपुर
चंचल कुमार तिवारी——————————-एसी सेक्रेटरी, पंचायती राज
सदाकांत मिश्रा———————-एसी सेक्रेटरी, हाउसिंग एंड अर्बन प्लानिंग, पीडब्लूडी
मुकुल सिंघल————————-प्रिंसिपल सेक्रेटरी, प्लानिंग, हेंडलूम एंड टेक्सटाइल
शंभूनाथ शुक्ला—एडीशनल सेक्रेटरी , एडमिनिस्ट्रेटिब रिफोर्मस, पब्लिक सर्विस मैनेजमेंट
अनूप चंद पांडे——————————एडीशनल चीफ सेक्रेटरी फाइनेंस,
राजेन्द्र तिवारी———————-एडीशनल चीफ सेक्रेटरी लेवर एंड इम्पलायमेंट
दीपक त्रिवेदी———————-एडीशनल चीफ सेक्रेटरी , रूरल डेवलपमेंट
अवनीश कुमार अवस्थी————-प्रिंसिपल सेक्रेटरी, धर्मार्थ कार्य, सीईओ, यूपीआईडीए
देवाशीष पांडा———————-प्रिंसिपल सेक्रेटरी, गृह विभाग
राजन शुक्ला———————-प्रिंसिपल सेक्रेटरी, सिविल डिफेंस
रजनीश दुबे———प्रिंसिपल सेक्रेटरी, लघु, छोटे, मध्यम उद्योग एवं निर्यात संरक्षण विभाग
जोतिका पतनकर———————-प्रिंसिपल सेक्रेटरी, गवर्नर ,यूपी
आराधना शुक्ला———————-प्रिंसिपल सेक्रेटरी, परिवहन विभाग
मोनिका गर्ग—————————प्रिंसिपल सेक्रेटरी, लघु सिचाई
पार्थासार्थी सेन शर्मा———————-सेक्रेटरी, एनईडीए विभाग
मृत्युंजय नारायण————————-सेक्रेटरी, मुख्मंत्री, सिविल एविएशन
नीना शर्मा—————————–सेक्रेटरी , महिला कल्याण विभाग
धनलक्ष्मी के.—————————-सेक्रेटरी , वित्त विभाग
सुधीर कुमार दीक्षित———————-सेक्रेटरी, मेडिकल एजूकेशन
मनोज मिश्रा————————–सेक्रेटरी, नागरिक सुरक्षा एवं पेंशन विभाग
शिव श्याम मिश्रा———————-स्पेशल सेक्रेटरी, वित्त विभाग
सीपी त्रिपाठी———————-स्पेशल सेक्रेटरी, सिंचाई एंव जल संसाधन विभाग
हरिकांत त्रिपाठी———————-स्पेशल सेक्रेटरी, हाउसिंग एंड अर्बन प्लानिंग
जय प्रकाश सागर———————-स्पेशल सेक्रेटरी, वित्त
जय प्रकाश त्रिवेदी———————-स्पेशल सेक्रेटरी, यूपीएपीसी ब्रांच
संध्या तिवारी———————-स्पेशल सेक्रेटरी, सेकेंडरी एजूकेशन
प्रीति शुक्ला———————-स्पेशल सेक्रेटरी, पीडब्लूडी
योगेश कुमार शुक्ला—————एडीशनल सेक्रेटरी, यूपी इस्टेट विभाग
राजीव शर्मा———————-स्पेशल सेक्रेटरी, लेबर विभाग
श्याम सुंदर शर्मा——————-स्पेशल सेक्रेटरी, फूड एंड सिविल सप्लाई
बाल कृष्ण त्रिपाठी—————–एडीशनल कमिश्नर, फूड एंड सिविल सप्लाई
सर्वज्ञ राम मिश्रा——————–स्पेशल सेक्रेटरी , टूरिज्म विभाग
ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी—————-स्पेशल सेक्रेटरी, यूपीएपीसी
वेदपति मिश्रा———————-स्पेशल सेक्रेटरी, बेसिक शिक्षा
रमाकांत पांडे———————-स्पेशल सेक्रेटरी, शहरी विकास
मन मोहन चतुर्वेदी———————-स्पेशल सेक्रेटरी, वोकेशनल शिक्षा
शिवाकांत द्विवेदी———————-स्पेशल सेक्रेटरी, तकनीकी शिक्षा विभाग
सुजीत पांडे—————————-आईजी आगरा जोन
महेश कुमार मिश्रा———————-डीआईजी, आगरा
दिनेश चंद्र दुवे————————-एसएसपी , आगरा
राजेश पांडे—————————– एसएसपी , अलीगढ़
वीरेन्द्र कुमार मिश्रा———————-एसपी कोशाम्बी
ज्ञानेश्वर तिवारी———————-डीआईजी, चित्रकूट धाम
श्रीपति मिश्रा————————–एसपी बांदा
अशोक कुमार त्रिपाठी——————–एसपी हमीरपुर
संकल्प शर्मा——————————एसपी, बस्ती
राजेन्द्र पांडे—————————-एस एस पी, गोरखपुर
विपिन मिश्रा——————————एसपी , हरदोई
नेहा पांडे———————————एसपी , उन्नाव
सुरेश कुलकर्णी————————–एसपी ,आजमगढ़
आशीष तिवारी————————–एसपी, मिर्जापुर
दीपिका तिवारी————————–एसपी , चंदौली
सोमेन वर्मन————————–एसपी , गाजीपुर
शैलेष पांडे————————–एसपी, जौनपुर
नितिन तिवारी————————–एसपी, वाराणसी
इन अधिकारियों को किया इग्नोर
मौजूदा सरकार ने कर्इ ऐसे अधिकारियों को इग्नोर किया गया जो वेस्ट यूपी में अच्छी खासी पकड़ रखते हैं। अगर बात अधिकारियों की करें तो भुवनेश कुमार ऐसे आर्इएएस रहे हैं जिनकी पकड़ वेस्ट यूपी सबसे बेहतर मानी जाती है। मेरठ में डीएम रहते हुए वो कमिश्नर बने। लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि उनका कमरा अधिकारियों से भरा रहता था। टप्पल में जब दंगा भड़का तो उन्हें ही दंगा खत्म कराने के लिए भेजा गया था। वहीं संतोष यादव भी कुछ इसी तरह के अधिकारी रहे हैं। पिछले 15 सालों में ऐसा पहली बार हुआ जब उन्हें कोई पद नसीब नहीं हुआ। वहीं बी. चंद्रकला का नाम भी इसी फेहरिस्त में आता है। वास्तव में उन्हें सेंट्रल गवर्नमेंट में बुलाना एक सोची समझी रणनीति के तहत हुआ है। उन्हें प्रदेश के किसी भी जिले या सचिवालय में अच्छा पद दिया जा सकता था। उन्होंने बुलंदशहर में हुए घोटालों का पर्दाफाश कर दिया था।
इन अधिकारियों को भी ठंडे बस्ते में डाला
वहीं बात मंजिल सैनी की करें तो वो भी इस वक्त वेटिंग में हैं। उन्हें तेजतर्रार आर्इपीएस ऑफिसर माना जाता है। उन्होंने पिछली सरकारों में भी किया है। वहीं आर्इएएस सुरेंद्र सिंह को कौन भूल सकता है? ये वो ही आर्इएएस ऑफिसर हैं जो मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान डीएम थे। उन्होंने दंगों के असली आरोपियों को पकड़ लिया था। लेकिन पिछली सरकार के नेता अमीर आलम के कहने पर उनका ट्रांसफर कर दिया गया।
कहा जाता है कि अगर वो ही कार्रवार्इ हो गर्इ होती तो दंगा इतना नहीं भड़कता। वेस्ट यूपी में पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी रहे नवदीप रिणवा को र्इमानदारी से काम करने वाला माना जाता है। उन्होंने सत्ता के नेता कादिर राणा की फैक्ट्रीयों पर छापे पड़वा दिए थे। एेसे ही अार्इएएस प्रांजल यादव का भी नाम लिया जाता है। मेरठ में सीडीआे आैर लोकसभा चुनाव के दौरान बनारस के डीएम रहे प्रांजल यादव ने उस वक्त नरेंद्र मोदी की रैली को परमीशन नहीं दी थी। उस दौरान रैली में किसी तरह के डिस्प्यूट होने की सूचना मिली थी।