सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के संरक्षण के लिए अल्पकालीन नहीं बल्कि दीर्घकालीन योजना बनाने को कहा है, जिससे कि मध्यकालीन युग के इस यादगार निशानी को कम से कम अगले 100-200 वर्षों तक बचाया जा सके। जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने ताज ट्रेपिज्यम जोन (टीटीजेड) अथॉरिटी द्वारा ताजमहल के संरक्षण को लेकर दी गई योजनाओं को अस्थायी करार देते हुए कहा कि यह योजना अंतरिम प्रवृति की है।  गुजरात: EVM में बंद हैं नेताओं का भाग्य, 19 जिलों की 89 सीटों पर होगा आज मतदान
गुजरात: EVM में बंद हैं नेताओं का भाग्य, 19 जिलों की 89 सीटों पर होगा आज मतदान
पीठ ने कहा कि मुगल काल की इस यादगार निशानी के संरक्षण के लिए दीर्घकालीन योजना होनी चाहिए। वास्तव में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ताज के संरक्षण व सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदमों से संबंधित हलफनामा पीठ के समक्ष पेश किया था। इनमें ताजमहल के आसपास निर्माण कार्य पर पाबंदी की बात कही गई है।
ताज के आसपास सिर्फ सीएनजी वाहनों को आवागमन की अनुमति देने की योजना है। साथ ही कूड़ा जलाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने की तैयारी की गई है। इसके अलावा योजना में डीजल जेनरेटर पर पाबंदी, प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों को दूसरी जगह शिफ्ट करना, पौधे लगाना आदि शामिल हैं।
ताज के संरक्षण को लेकर की गई इन तैयारियों से असंतुष्ट पीठ ने कहा कि सोच दूरदर्शी होनी चाहिए। मौजूदा योजना का खाका ब्यूरोक्रेटिक है, जबकि इस तरह की योजना के लिए समाज, संस्कृति, पर्यावरण व स्थापत्य के विशेषज्ञों की राय व सुझाव जरूरी है। पीठ ने कहा कि ताज के संरक्षण के लिए स्थायी और व्यावहारिक उपाय करने की जरूरत है जिससे कि ताज की शान सदियों तक बनी रहे।
 TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
				 
						
					