सतलुज-यमुना लिंक नहर पर निर्माण कार्य जारी रहेगा। नहर की जमीन किसानों को देना गलत है। हरियाणा को पंजाब की नदियों से पानी का हिस्सा देना पड़ेगा। इस नहर को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद है।
जस्टिस एआर दवे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने 12 मई को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस दवे 18 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इस मामले में केंद्र ने कहा है कि राज्य इस मामले का निपटारा खुद करें।
इस मामले में दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर का रुख भी रिकॉर्ड किया गया है। इस दौरान पंजाब विधानसभा एसवाईएल नहर के लिए अधिगृहीत की गई जमीन को किसानों को लौटाने का कानून पास कर चुकी है।
इसके खिलाफ हरियाणा सरकार ने शीर्ष अदालत में गुहार लगाई थी, जिस पर अदालत ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था। मालूम हो कि इस नहर के पानी को लेकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में समझौता हुआ था।
कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस्तीफा
एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही पंजाब कांग्रेस के सभी विधायकों ने भी कैप्टन को अपना इस्तीफा भेजा है। बता दें कि इससे पहले सतलुज-यमुना लिंक पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को झटका देते हुए कहा कि समझौता रद्द करने का अधिकार पंजाब को नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने नहर की जमीन किसानों को देने को गलत करार दिया। वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि अगर कांग्रेस सरकार सत्ता में लौटती है तो कानून फिर से बनेगा।