सेना के जवानों को रेलवे की निश्शुल्क यात्रा की सुविधा जिस वारंट पर दी जाती है, उसका जमकर फर्जीवाड़ा हुआ। छावनी स्थित रेल आरक्षण केंद्र में तैनात सेना के जवानों ने फर्जी वारंट नंबर के जरिए लाखों रुपये के आरक्षित टिकट बना दिए। इतना ही नहीं इन टिकटों को जवानों और अफसरों के परिवारीजन को बेचा भी गया। रेलवे बोर्ड ने सैन्य आरक्षण केंद्र को बंद करने का आदेश दिया। अब यहा ताला लगा दिया गया है। मामले में आरोपित जवानों के खिलाफ कोर्ट ऑफ इंक्वायरी गठित की गई है।
सेना के जवानों और अफसरों को सुविधा देने के लिए ही उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल प्रशासन ने लखनऊ छावनी के उस्मान रोड पर दो काउंटरों वाला आरक्षण केंद्र करीब छह साल पहले खोला था। यहा पर सेना के जवान ही आरक्षण कार्य करते हैं। रेलवे ने यहा आरक्षण की सुविधा आम नागरिकों के लिए भी देने का निर्देश दिया था, जबकि सेना के जवान आम नागरिकों का रिजर्वेशन नहीं करते थे। रेलवे सेना को उनके जवानों और अफसरों के साथ परिवारीजनों को निश्शुल्क यात्र के लिए फ्री वारंट की सुविधा देता है। इसके बदले सेना रेलवे को एकमुश्त किराए का भुगतान करती है। छावनी के आरक्षण केंद्र पर तैनात जवानों ने ऐसे ही वारंट के फर्जी नंबर बनाए और उसी कोड से एक ही नंबर पर कई आरक्षित टिकट बना दिए। यह खेल आगे की यात्र और वापसी यात्र के नाम पर किया गया। फर्जी वारंट नंबर पर बनाए गए टिकटों को सेना के जवानों के परिवारीजनों को बेचा गया। ट्रेन में यात्रा के दौरान पिछले साल नवंबर में एक टीटीई ने वारंट का खेल पकड़ा। रेलवे बोर्ड की विजिलेंस टीम ने लखनऊ आकर आरक्षण केंद्र में छापेमारी की थी, जिसके बाद यह खेल पकड़ में आया। इधर, कुछ दिन पहले रेलवे ने मामले की जानकारी सेना को देने के साथ ही आरक्षण केंद्र बंद कर दिया। अब सेना ने मामले की जाच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी गठित की है। मामले में तीन जवानों पर प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए गए हैं। वहीं मध्य यूपी सब एरिया मुख्यालय के अधिकारियों ने आरक्षण केंद्र को खुलवाने के लिए सीनियर डीसीएम जगतोष शुक्ल से मुलाकात की है। सीनियर डीसीएम ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के बाद या फिर रेलवे बोर्ड से निर्देश आने के बाद उसे शुरू करने की बात कही है।
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