केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को बताया कि सरकार महिलाओं और बच्चों की तस्करी पर यथासंभव बेहद कड़े कानून को संसद में पेश करने की तैयारी कर रही है। तीसरे ‘लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन समिट ऑन द फेयर शेयर फॉर चिल्ड्रन’ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों के संरक्षण की दिशा में सरकार बेहद गंभीरता से काम कर रही है।
बता दें कि ‘लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन’ बच्चों के अधिकार सुनिश्चित करने का एक गठजोड़ है जिसके प्रमुख नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी हैं। लोकसभा ने 2018 में ‘द ट्रैफिकिंग ऑफ पर्सस (प्रिवेंशन, प्रोटेक्शन एंड रिहेबिलिटेशन) बिल’ पारित किया था, लेकिन यह राज्यसभा से पारित नहीं हो सका था। 2019 में मोदी सरकार का पहला कार्यकाल खत्म होने के बाद यह बिल कालातीत हो गया था। बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदमों का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महामारी से पहले संसद ने बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए कड़ा कानून पारित किया था और इसमें शामिल लोगों को सजा के प्रावधान किए थे।
भारत पर केंद्रित एक रिपोर्ट में कहा गया कि 25 मार्च से 31 मई के बीच महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा से संबंधित शिकायतों में तेजी आई है। रिपोर्ट में महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों का भी जिक्र किया गया है। इसमें चेतावनी दी गई है कि अगर महामारी 2020 से भी आगे तक चलती है तो विश्व अर्थव्यवस्था 5.2 प्रतिशत तक संकुचित होगी। इसके साथ ही 40 करोड़ से अधिक लोगों के अत्यधिक गरीबी में जाने का भी खतरा रहता है। यही नहीं, इसके कारण 34.7 करोड़ बच्चे अभी भी स्कूल बंद होने के कारण स्कूल फीडिंग प्रोग्राम्स तक नहीं पहुंच पा रहे हैं और पांच साल से कम उम्र के 12 लाख से अधिक बच्चों के अगले छह महीने में कुपोषण से मरने का अनुमान है।
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