नाम ना बताने की शर्त पर एक नेता ने बताया कि आधिकारिक तौर पर कांग्रेस ने इसपर बोलने से मना कर दिया है और पार्टी के प्रवक्ताओं से कहा गया है कि सवाल पूछने पर वह बोल दें कि उन्हें इस रिपोर्ट के बारे में कुछ नहीं पता है। रिपोर्ट में थ्रोट ने बताया है कि कैसे पार्टी को 102 सीटों का नुकसान हुआ है। गुजरात चुनाव में 182 सीटों में से कांग्रेस और उसके साथियों को 80 सीटे मिली थी जबकि भाजपा के खाते में 99 सीटे गई थीं।
रिपोर्ट में उन नेताओं के नाम शामिल हैं जिन्होंने हारे हुए उम्मीदवारों के नाम की सिफारिश की थी। शुक्रवार को गांधी ने समीक्षकों की एक टीम से मुलाकात की जिन्हें गुजरात विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। एक समीक्षक ने बताया कि बैठक में नतीजों पर काफी गहन चर्चा हुई। जिम्मेदारी तय करने का कदम लगभग पांच सालों बाद फिर सामने आया है। सबसे पहले इसकी घोषणा 20 जनवरी, 2013 में जयपुर में हुई थी।
घोषणा पत्र में महत्वपूर्ण यह है कि वरिष्ठ नेता जिन उम्मीदवारों के नाम की सिफारिश करेंगे उनके असफल होने पर उन्हें खुद इसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। इससे संगठनात्मक ढांचे में जारी भाई-भतीजावाद को खत्म करने में मदद मिलेगी। इस घोषणा की दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि केवल विजयी होना किसी प्रत्याशी को चुनाव के दौरान टिकट पाने में मदद नहीं करेगा। बल्कि निष्ठा और जीतने की योग्यता के बीच एक संतुलन बनाकर रखा जाएगा।
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