अंतरिक्ष में हिंदु्स्तान का 100वां उपग्रह, US समेत 7 देशों के 31 सैटेलाइट लॉन्च

अंतरिक्ष में हिंदु्स्तान का 100वां उपग्रह, US समेत 7 देशों के 31 सैटेलाइट लॉन्च

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) ने इतिहास रचते हुए अपना 100 सैटेलाइट लॉन्च कर दिया है। पीएसएलवी श्रृंखला के सैटेलाइट का नाम कार्टोसैट-2, है। इस सैटलाइन को ‘आई इन द स्काइ’ के नाम से भी जाना जा रहा है, क्योंकि ये अतंरिक्ष से तस्वीरें लेने के लिए ही बनाया गया है। खास बात है कि ये पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर पैनी नजर बनाए रखेगा। अंतरिक्ष में हिंदु्स्तान का 100वां उपग्रह, US समेत 7 देशों के 31 सैटेलाइट लॉन्च

ये लॉन्चिंग भारत के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि इससे पहले पीएसएलवी-39 मिशन फेल हो गया था और भारतीय वैज्ञानिकों ने एक बार फिर इसकी मरमत करेक फिर से लॉन्च किया। दरअसल, एक मिशन को मरमत करके फिर से लॉन्च करना बहुत बड़ी बात होती है।

सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग पर पीएम मोदी ने इसरो को बधाई दी है। पीएम ने इस नए साल का तोहफा करार देते हुए कहा कि तकनीकी में ये बदलाव देश के नागरिकों, किसानों और मछुआरों की मदद में सहयोगी देगी।

इसरो का 100वां सैटेलाइट कार्टोसैट-2 शृंखला का मौसम उपग्रह और 30 अन्य उपग्रह शुक्रवार सुबह नौ बजकर 28 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच हुआ। इसरो ने बताया कि 44.4 मीटर लंबे राकेट पीएसएसवी-40 से लांच होने वाले इन उपग्रहों में कार्टोसैट-2, भारत का एक नैनो सैटेलाइट, एक माइक्रो सैटेलाइट और 28 विदेशी उपग्रह शामिल हैं। विदेशी उपग्रहों में कनाडा, फिनलैंड, कोरिया, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के  25 नैनो और तीन माइक्रो सैटेलाइट शामिल हैं। 

इन सभी 31 सैटेलाइट का वजन 1323 किलोग्राम है। सभी सैटेलाइट को लांच करने की व्यवस्था इसरो और उसकी व्यवसायिक शाखा अंतरिक्ष कारपोरेशन लिमिटेड ने संभाली है। इसरो के अधिकारियों के मुताबिक 30 सैटेलाइट को 505 किलोमीटर की सूर्य की समकालीन कक्ष (एसएसओ) में प्रक्षेपित किया जाएगा। एक माइक्रो सैटेलाइट 359 किलोमीटर की एसएसओ में स्थापित किया जाएगा। इस पूरे लांच में दो घंटे 21 सेकेंड का वक्त लगेगा। 

उच्च कोटि की तस्वीरें भेजेगा कार्टोसैट-2 कार्टोसैट का मुख्य मकसद उच्च गुणवत्ता की तस्वीरें भेजना है। इसका इस्तेमाल नक्शे बनाने में किया जाएगा। इसमें मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरे लगे हुए हैं। इससे तटवर्ती इलाकों, शहरी-ग्रामीण क्षेत्र, सड़कों और जल वितरण आदि की निगरानी की जा सकेगी। 

 
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