
परिजनों ने पुलिस को पूरी कहानी बताई कि आखिर हुआ क्या। उन्होंने बताया कि शाम 6 बजे के करीब राजू(21) अपने कमरे में गया और बाकी परिवार लिविंग रूम में बैठी बातें कर रही थी। लगभग 20 मिनट बाद राजू के पिता उससे कुछ बात करने उसके कमरे में पहुंचे।
एसएचओ संजय कुमार ने कहानी सुनने के बाद राजू के कमरे का नीरिक्षण किया तो उन्हें लगा कि फंखे की ऊंचाई इतनी कम है कि फंदा लगाकर मरना आसान नहीं है।
कुमार को ये भी लगा कि राजू का पैर जमीन को जरूर छुआ होगा। एसएचओ जब तक यह सब अनुमान लगा रहे थे उस बीच परिवारवालों ने राजू के अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू कर दी थीं।
हालांकि नब्ज बहुत धीमी चल रही थी। इस पर कुमार उसे तुरंत अस्पताल ले गए और रास्ते में उसे सीपीआर देते रहे। अस्पताल पहुंचकर डॉक्टरों ने उसे पुनर्जीवित कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि जब राजू अस्पताल पहुंचा तो उसकी नब्ज बहुत धीमी चल रही थी लेकिन अगर जरा भी देर हो जाती तो कुछ नहीं किया जा सकता था।
हालत में सुधार होने के बाद राजू ने पुलिस को बताया कि उसने आत्महत्या करने की कोशिश इसलिए की क्योंकि वह माता-पिता द्वारा रोज-रोज डांटे जाने से तंग आ चुका था।
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