वैसाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। अक्षय तृतीया को आखा तीज भी कहते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह तिथि सबसे शुभ तिथि मानी जाती है और मान्यता है इस दिन कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। इस तिथि पर कोई भी शुभ काम का कभी भी क्षय नहीं होता है इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहते हैं। अक्षय तृतीया पर धन संपत्ति में वृद्धि होती है।
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अक्षय तृतीया का महत्व
शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया को सतयुग और त्रेतायुग का आरम्भ माना गया है। इसी दिन वृंदावन के श्री बांकेबिहारी जी के मंदिर में साल में एक बार श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं। इस शुभ तिथि पर वेद व्यास और भगवान गणेश के द्वारा महाभारत का लेखन कार्य शुरू किया गया था। इसी दिन पवित्र तीर्थ स्थल बद्रीनाथ के कपाट भी खुल जाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया को सतयुग और त्रेतायुग का आरम्भ माना गया है। इसी दिन वृंदावन के श्री बांकेबिहारी जी के मंदिर में साल में एक बार श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं। इस शुभ तिथि पर वेद व्यास और भगवान गणेश के द्वारा महाभारत का लेखन कार्य शुरू किया गया था। इसी दिन पवित्र तीर्थ स्थल बद्रीनाथ के कपाट भी खुल जाते हैं।
साथ इसी दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम की जयंती भी है। भगवान विष्णु के अवतार नर-नाराययण और हयग्रीव और ब्रह्रााजी के पुत्र अक्षय कुमार जन्म हुआ था। इसके अलावा गंगा का पृथ्वी पर आगमन और महाभारत के युद्ध का समापन हुआ था।
अक्षय तृतीया पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को वनवास जाते समय अक्षय पात्र दिया था। यह ऐसा पात्र था जो कभी भी खाली नहीं होता। इसके अलावा भगवान कृष्ण ने इसी तिथि को अपने बचपन के दोस्त सुदामा की द्ररिद्रता को दूर कर उन्हें संपन्नता प्रदान की थी।
अक्षय तृतीया पर पूजा का शुभ मुहूर्त
सुबह 05: 56 से दोपहर 12:20 तक
खरीददारी करने का शुभ मुहूर्त
सुबह 05 बजकर 56 से आधी रात तक
सुबह 05: 56 से दोपहर 12:20 तक
खरीददारी करने का शुभ मुहूर्त
सुबह 05 बजकर 56 से आधी रात तक