अक्सर कामकाजी महिलाएं पैरों के दर्द की शिकायत (Leg Pain in Women) लेकर आती हैं। किसी के पैरों के नीचे, तो किसी के टखनों में दर्द रहता है। इसके पीछे कई वजहें होती हैं, जैसे- मोटापा, हार्मोंस में बदलाव, मांसपेशियों में खिंचाव, मानसिक तनाव, चोट या पोषक तत्वों की कमी के कारण समस्या हो सकती है।
आइए महिलाओं में पैर के दर्द के कारण और बचाव के बारे में डॉ. आकांक्षा रस्तोगी (कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम) से जानते हैं।
क्यों होता है पैरों का दर्द?
टैंडोनाइटिस- मांसपेशियों और हड्डियों को जोड़ने वाले ऊतक को टेंडन कहते हैं। चोट या सूजन आने से टेंडोनाइटिस हो जाता है।
इसकी वजह से पैरों के कई हिस्सों में दर्द रहता है।
साइटिका- तंत्रिका के मार्ग के साथ-साथ फैलते हुए दर्द को साइटिका कहते हैं। जब रीढ़ की हड्डी में हर्निएटेड डिस्क पर दबाव पड़ता है। यह दर्द आमतौर पर साइटिक नर्व के दबने से या प्रभावित होने के कारण होता है।
फाइब्रोमाइलजिया- शरीर के कुछ हिस्सों पर छूने से ही करेंट जैसा दर्द महसूस होता है उसे फाइब्रोमाइलजिया कहते हैं। इसके कुछ टेंडर प्वाइंट्स होते हैं, जिसमें एड़ी और पिंडलियां। न्यूरोलाजिकल या मस्कुलर पेन रक्तप्रवाह में कमी के अलावा तनाव भी मांसपेशियों के खिंचाव का कारण है। जब भी आप तनाव में रहती हैं तो आपकी नसें खिंचती हैं। बढ़ने वाले कोर्टिसोल और अन्य तनाव हार्मोन पैरों और टखनों से रक्त प्रवाह को दूसरे अंगों तक ले जाते हैं। इससे पैरों और टखनों में आक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति नहीं होती और दर्द बढ़ जाता है।
समझें दर्द के कारण
हार्मोनल बदलाव- महिलाओं के शरीर में हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर मासिक धर्म, प्रेग्नेंसी और मेनोपाज के दौरान काफी बदलता है। ये बदलाव नसों और मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं, जिससे पैरों में सूजन, भारीपन और दर्द महसूस होता है। पीरियड्स के पहले या बाद में उनके पैरों में ऐंठन और थकान होती है।
नसों की समस्या (वेरिकोज वेन्स)- कई महिलाओं की नसें उभरकर दिखने लगती हैं, खासकर पिंडलियों के पास। इसे वैरिकोज वेन्स कहते हैं। इसमें नसों में खून जमा होने लगता है जिससे सूजन और दर्द होता है।
पोषक तत्वों की कमी- विटामिन, आयरन और पोटेशियम की कमी से खून की मात्रा हड्डियां कमजोर होती हैं। शरीर में कम होने लगती हैं।
स्वास्थ्य की ना हो अनदेखी- महिलाएं हमेशा से ही स्वास्थ्य की अनदेखी करती हैं, जिससे आगे चलकर आस्टियोपोरोसिस हो सकता है। महिलाओं में 20 से 40 वर्ष में रिप्रोडक्टिव क्रियाएं ज्यादा होती हैं, इस दौरान शरीर में काफी बदलाव होते हैं। इसलिए खानपान पर ध्यान देना आवश्यक है।
क्या है समाधान है?
पैर, पिंडलियां और टखनों के दर्द से राहत के लिए नमक-पानी में पैर डालकर सिंकाई कर सकती हैं।पैरों की अंगुलियों के पीछे एक्युप्रेशर के प्वाइंट्स होते हैं, जिन्हें दबाने से दर्द में आराम मिलता है।
बाडी स्ट्रेचिंग करने से दर्द कम होता है। सुबह की धूप जरूर लेने का प्रयास करें।
शरीर को हाइड्रेट रखें।
रसीले फल खाएं और पोटैशियम की कमी न होने दें।
आयरन के स्तर की जांच कराएं और हरी सब्जियां जरूर खाएं।