उत्तर प्रदेश की दस राज्यसभा सीटों के लिए मतदान पूरा हो गया है. सूबे के 400 विधायकों ने वोटिंग किया. राज्य में 11 उम्मीदवार के मैदान में होने से चुनाव काफी रोचक रहा. दसवें उम्मीदवार के तौर पर किसकी जीत होगी, ये तस्वीर अभी तक साफ नहीं है. ऐसे में सबकी निगाहें निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया के वोट को लेकर थी.
सीएम योगी के साथ मुलाकात
राजा भइया दोपहर बाद मतदान करने तिलक हाल पहुंचे. उनके साथ निर्दलीय विधायक विनोद सरोज भी साथ थे. मतदान से पहले उन्होंने कहा कि वो अपना वोट सपा उम्मीदवार को देंगे. इसके बाद उन्होंने वोट किया और इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मुलाकात की. योगी के साथ उनकी मुलाकात करीब 20 मिनट की रही.
बता दें कि रघुराज प्रताप सिंह राज्यसभा के बीजेपी उम्मीदवार अनिल जैन के साथ सीएम योगी के साथ मुलाकात करने पहुंचे थे.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात औपचारिक थी. वोट उसी को दिया है, जिससे वादा किया था. मैने जो ट्वीट किया था वही है. डिनर खाकर गड़बड़ नहीं किया. राजा भइया ने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ से वोट को लेकर कोई बात नहीं हुई.
अखिलेश के डिनर में पहुंचे थे राजा
गौरतलब है कि चुनाव से दो दिन पहले सपा मुखिया अखिलेश यादव की दावत में रघुराज प्रताप सिंह पहुंचे थे. इसके बाद से ही माना जा रहा था कि वो सपा को वोट करेंगे. उन्होंने ये बात डिनर पार्टी में भी कही थी, लेकिन मतदान के दिन उस समय सस्पेंस छा गया, जब ये खबर आई कि वो अपना वोट नहीं करेंगे.
राजा किसका बिगाड़ेंगे समीकरण
दरअसल राजा भैया ने अपना वोट समाजवादी पार्टी के लिए रखा है और 37वें वोटर के तौर अपना वोट डाला है. लेकिन अब एक उम्मीदवार को जीत के लिए 36 वोट ही चाहिए. ऐसे में रघुराज प्रताप सिंह का 37 में से वोट का कुछ प्रतिशत BSP को जा सकता है, इसीलिए ऐसा माना जा रहा था कि वो वोट नहीं डालेंगे. लेकिन उन्होंने बाद में जाकर मतदान किया. इसके बाद उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ मुलाकात की. उन्होंने किसे वोट किया, ये बात अभी खुलकर सामने नहीं आ सकी है.
गौरतलब है कि 2002 में यूपी में बीएसपी की सरकार के दौरान मायावती ने रघुराज प्रताप सिंह के खिलाफ काफी आक्रामक रूख अपनाया था. रघुराज को जेल भिजवाने के साथ उनकी आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए कड़ा एक्शन लिया था. इतना ही नहीं उनके महलनुमा घर में पुलिस भेजने के साथ काफी जब्ती भी कराई थी.
इसके बाद 2007 में भी मायावती ने रघुराज प्रताप सिंह के खिलाफ कड़ा रूख अपनाए रखा. यही वजह है कि रघुराज बसपा उम्मीदवार को वोट करने से कतरा रहे हैं. बता दें कि रघुराज के खिलाफ हत्या सहित कई आपराधिक मामले दर्ज हैं.
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