हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार मंदिर में भगवान के दर्शन करने के बाद उनकी परिक्रमा जरुर करनी चाहिए। दरअसल भगवान की परिक्रमा करने से अक्षय पुण्य मिलता है और पापों का नाश होता है। भगवान की परिक्रमा करने से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आइये जानते है परिक्रमा से जु़ड़ी कुछ बातें।26जून दिन सोमवार का राशिफल: जानिए क्या कहते है आज आपके सितारे
परिक्रमा करने की पीछे एक कथा है, जिसके अनुसार सबसे पहले भगवान गणेशजी ने शिवजी और पार्वती जी की परिक्रमा की थी, तभी से हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के दर्शन के बाद परिक्रमा की जाती है।
परिक्रमा करने का दार्शनिक महत्व भी है क्योंकि प्रत्येक ग्रह-नक्षत्र किसी न किसी तारे की परिक्रमा करते है। इसके साथ ही मंदिरों में सकारात्मक एनर्जी हमेशा रहती जिसके कारण परिक्रमा करने हमे यह एनर्जी मिलती इसलिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व दोनो है।
शास्त्रों के अनुसार अलग-अलग देवी-देवताओं की परिक्रमा के नियम अलग है। गणेशजी, हनुमानजी की तीन परिक्रमा करने का विधान जबकि किसी की चार तो किसी सात परिक्रमा की जाती है।
भगवान की परिक्रमा इसलिए की जाती है ताकि हम सकारात्मक ऊर्जा के बीच रहें जिससे भगवान की कृपा मिलती रहे और मन में अच्छे विचार आते है।
परिक्रमा दाएं दिशा की ओर बढ़ते हुए देवी-देवता की उपासना करना चाहिेए इससे भगवान के करीब पहुंचने का सबसे आसान तरीका माना जाता है।