डेबिट और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी धोखाधड़ी हमारे लिए सिरदर्द बनती जा रही है। यदि आप अभी तक मैग्नैटिक या ब्लैक स्ट्रिप वाला कार्ड इस्तेमाल कर रहे हैं, तो सतर्क रहें। आए दिन एटीएम कार्ड से धोखाधड़ी के मामलों में इजाफा हो रहा है। कार्ड धारक कार्ड इस्तेमाल करे या न करे, उसके खाते से रुपयों की निकासी हो जाती है।17 नवंबर को CM योगी से मिलेंगे बिल गेट्स, यूपी को मिल सकती है बड़ी सौगात
इस तरह के मामले बेहद गंभीर हैं, क्योंकि पहले बैंकों द्वारा जारी किए गए ब्लैक स्ट्रिप(मैग्नेटिक पट्टी) वाले डेबिट व क्रेडिट कार्ड की क्लोनिंग करना काफी आसान है। ऐसे में फर्जी एटीएम से आपके खाते से पैसा निकाला जा सकता है।
यही कारण है कि बैंक द्वारा अब चिप वाले एटीएम कार्ड जारी किए जा रहे हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने साल 2012 में एक आदेश जारी किया था। इस आदेश के अनुसार, आरबीआई ने कहा था कि विदेश जाने वाले लोगों द्वारा चिप वाले डेबिट व क्रेडिट कार्ड प्रयोग में लाए जाएंगे। ऐसे में विदेश जाने वाले लोगों के लिए चिप वाले एटीएम कार्ड जारी किए गए। साथ ही कई देशों में ब्लैक स्ट्रिप कार्ड मान्य भी नहीं हैं।
चिप वाले एटीएम कार्ड कैसे रखें सुरक्षित
ब्लैक स्ट्रिप वाले एटीएम कार्ड के मुकाबले चिप वाले एटीएम कार्ड की क्लोनिंग करना साइबर चोर व अन्य गिरोहों के लिए काफी मुश्किल होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि चिप वाले एटीएम कार्ड को रीड करना काफी मुश्किल होता है।
इस खास नए एटीएम की रीडिंग के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है, जो केवल बैंकों के पास हैं। ऐसे में इस कार्ड का गलत इस्तेमाल करना काफी मुश्किल है। वहीं काली पट्टी वाले एटीएम कार्ड के रीडर बाजारों में मौजूद हैं, जिससे एटीएम की क्लोनिंग की जा सकती है।
कैसे होती है क्लोनिंग
शायद आपको इस बात की जानकारी न हो कि पुराने एटीएम कार्ड की ब्लैक स्ट्रिप में आपके एटीएम से संबंधित सारी जानकारी होती है। ऐसे में आपके द्वारा कार्ड स्वाइप करने पर अपराधियों के पास एटीएम की सारी जानकारी चली जाती है।
अपराधी एटीएम और स्वाइप मशीन के आस-पास अतिरिक्त डिजिटल डिवाइस लगाते हैं, जिससे कार्ड की जानकारी को कॉपी किया जा सके। यही नहीं अपराधी एटीएम मशीन के आसपास कैमरा भी लगा देते हैं, जिससे आपके एटीएम का पिन नंबर, उन्हें पता चल जाता है।
आपके द्वारा एटीएम से लेन-देन पूरा होने पर अपराधी एटीएम मशीन में लगाई गई डिजिटल डिवाइस को कंप्यूटर सिस्टम से जोड़ते हैं और एटीएम कार्ड का सीक्रेट नंबर हासिल कर क्लोन कार्ड पर बना लेते हैं। साथ ही उन्हें एटीएम का पिन कैमरे से पता चल जाता है। इसके बाद वे बेहद ही आसानी से आपके एटीएम के क्लोन की मदद से ट्रांजैक्शन कर सकते हैं।
ऐसा करने से अगर वहां कोई अतिरिक्त डिवाइस लगी होगी, तो वह तुरंत गिर जाएगी। पिन डालने के दौरान बटन्स वाली जगह को दूसरे हाथ से ढंक लें, ताकि वहां लगे माइक्रो कैमरे पिन को कैप्चर न कर सकें।
किस तरह का कार्ड दे रहा है बैंक
हाल ही में शुरू हुई जन-धन योजना के खाताधारकों व छोटे खाताधारकों को बैंक ‘रुपे कार्ड’ जारी कर रहा है। ये कार्ड्स भारत में तैयार किए जा रहे हैं और लोगों को मुफ्त दिए जा रहे हैं। इसके अलावा बैंक कई अन्य तरह के कार्ड भी उपभोक्ताओं को मुहैया करा रहे हैं।
इनमें मास्टर कार्ड व वीजा कार्ड प्रमुख हैं। दूसरी तरफ, निजी बैंक सिर्फ चिप वाले डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड ही जारी कर रहे हैं। इन नए कार्ड्स की प्राइवेसी चुराना बेहद कठिन है।
एक्सपर्ट की राय-
पेमेंट सिक्योरिटी एक्सपर्ट, नितिन भटनागर कहते हैं कि आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार अब कोई भी बैंक इस तरह के मैग्नेटिक या ब्लैक स्ट्रिप कार्ड जारी नहीं करता है। जिनके पास अब भी इस तरह के कार्ड हैं और वे इनका इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इन लोगों के लिए बेहतर होगा कि वे जल्द से जल्द अपने बैंक से संपर्क कर इन कार्ड्स को सिम या चिप कार्ड से बदल लें।
अब इन कार्ड्स को इस्तेमाल करना किसी भी फर्जीवाड़े को आमंत्रण देने जैसा ही है। यदि मैग्नैटिक स्ट्रिप वाले कार्ड का इस्तेमाल करने पर किसी के साथ कोई फर्जीवाड़ा होता है, तो सबसे पहले पुलिस स्टेशन जाकर इसकी सूचना दें। इसके बाद अपने बैंक को भी इस फर्जीवाड़े के बारे में लिखित रूप में अवगत करा दें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि इस पूरी प्रक्रिया में तीन दिन से ज्यादा समय न लगे।